BHAGWAT GITA के best life Changing श्लोक

BHAGWAT GITA के best life Changing shlok:

Bhagawat Gita दुनिया की सबसे पुरानी मोटिवेशनल बुक है| अगर आप जीवन में परेशान है, कोई सही मार्ग नहीं मिल पा रहा हो| असफलता के कारण मन दुखी हो तो भगवद गीता ( Bhagwad Geeta ) के केवल इन 7 जिंदगी बदलने वाले श्लोकों को भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करते हुए पढ़ने से तत्काल मार्गदर्शन मिलने लगता है।

भगवत गीता संसार के सर्वप्रथम प्रेरक वक्ता द्वारा दिया गया प्रथम प्रेरक व्याख्यान है,भगवत गीता किसी धर्म की किताब नहीं है,अपितु संसार में ज्ञान को फैलाने तथा अंधकार को मिटाने का साधन है।

आइए जानते हैं विश्व की सबसे पुरानी और बेस्ट मोटिवेशनल किताब BHAGWAD GITA के ये श्लोक:-

भगवत गीता के बेस्ट श्लोक और उनके अर्थ :-

1.ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।

सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 62)

अर्थ: विषय-वस्तुओं के बारे में सोचते रहने से मनुष्य को उनसे आसक्ति हो जाती है। इससे उनमें कामना यानी इच्छा पैदा होती है और कामनाओं में विघ्न आने से क्रोध की उत्पत्ति होती है। इसलिए कोशिश करें कि विषयाशक्ति से दूर रहते हुए कर्म में लीन रहा जाए।

The Secret -The Law Of Attraction summary in Hindi

2.क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।

स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 63)

गीता के एक श्लोक का अर्थ है: क्रोध से मनुष्य की मति-बुदि्ध मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है, कुंद हो जाती है। इससे स्मृति भ्रमित हो जाती है। स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।

3.यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।

स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥

(तृतीय अध्याय, श्लोक 21)

अर्थ: श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य (आम इंसान) भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं।

4.नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:।

न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत॥

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)

अर्थ: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। यहां श्रीकृष्ण ने आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने की बात की है।

5.श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।

ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥

(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 39)

अर्थ: श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य, साधन पारायण हो अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त करते हैं, फिर ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति को प्राप्त होते हैं।

6.सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।

अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥

(अठारहवां अध्याय, श्लोक 66)

अर्थ: (हे अर्जुन) सभी धर्मों को त्याग कर अर्थात हर आश्रय को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ, मैं (श्रीकृष्ण) तुम्हें सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो।

7.परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥

(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 8)

गीता के एक श्लोक का अर्थ है: सीधे साधे सरल पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए…धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूँ |

इसलिए कभी भी लगे कि आपके साथ बुरा हो रहा है ,तो ईश्वर का ध्यान करना चाहिए ,ईश्वर हमेशा हमारे साथ रहता है।

THE 5AM CLUB Book Summary in Hindi

The Real Iron Man: Elon Musk Biography in Hindi

Zero To One (Peter Theil) Book Summary in Hindi

Leave a Comment