Suresh Raina की किताब ‘Believe: What Life & Cricket taught me’ हिंदी रिव्यु

सुरेश रैना , विश्व क्रिकेट जगत का एक ऐसा खिलाड़ी, जिसको शायद ही कोई नापसंद करता हो | क्रिकेट पूरे विश्व भर का एक प्रसिद्ध खेल है , भारत में एक क्रिकेटर की जिन्दगी  एक सेलिब्रिटी की तरह होती है | एक आम भारतीय को और कुछ पता हो या न हो लेकिन , देश की राजनीति , बॉलीवुड ,और क्रिकेट इन तीन चीजो के बारे में  सब कुछ पता होता है | ऐसे में सुरेश रैना जैसे खिलाडी को कौन नहीं जानता होगा |

रैना अपने कई प्रशंसकों के लिए वास्तव में एक प्रेरणादायक पहेली है। और साथ ही अपने संस्मरण ‘बिलीव: व्हाट लाइफ एंड क्रिकेट टॉट मी’ में अपनी कहानी साझा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जो 14 जून को मार्केट में आ चुकी है। क्रिकेट शिविरों में धमकाए जाने से लेकर, खेल के माध्यम से सीखे गए सबक तक, दोस्ती तक। उन्होंने शादी और पितृत्व के लिए मैदान पर और बाहर दोनों का कैसे निर्माण किया- रैना ने अपने स्पष्ट संस्मरण ‘बिलीव: व्हाट लाइफ एंड क्रिकेट टाउट मी’ में अपने जीवन के बारे में खुलासा किया। पुस्तक पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित की गई है और क्रिकेट लेखक भरत सुंदरसन द्वारा सह-लेखक है।

सुरेश रैना वही खिलाड़ी है , जिसने 2009 T20 वर्ल्ड कप में शतक बनाया था, ऐसा करने वाले वे दुनिया के पहले खिलाड़ी बने थे | 2011 के वर्ल्ड कप को जिताने वाली भारतीय क्रिकेट टीम का वह अहम हिस्सा था |
सुरेश रैना ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से अब रिटायरमेंट ले लिया है | उत्तर प्रदेश के रहने वाले यह खिलाड़ी इन दिनों अपनी किताब को लेकर बहुत चर्चो में है|

Believe: What Life and Cricket Taught Me

दोस्तों हम सभी जानते हैं | क्रिकेट जैसे खेल में एक खिलाड़ी और जिन्दगी में एक इंसान को उतार-चढ़ाव का सामना करना पढ़ता है | और एक क्रिकेटर के तौर पर सुरेश रैना ने अपनी किताब में इसे अच्छी तरह से समझाया है | इस किताब के बारे में और जानने से पहले इसके लेखको के बारे में बात करना जरुरी है |

1. सुरेश रैना :-

Suresh Raina Reveals In Book- Some Senior Players Mocked Him - टीम इंडिया  के सीनियर खिलाड़ियों उडाया था मजाक, सुरेश रैना ने किताब में खोले कई राज |  Patrika News

27 नवम्बर 1986 को जन्मे सुरेश रैना , रैनावारी, श्रीनगर के एक कश्मीरी पंडित हैं| सैन्य पृष्ठभूमि में जन्मे और पले-बढ़े रैना का एक अनुशासित जीवन रहा है | विश्व् के सबसे अच्छे फ़ील्डर से जाने जाने वाले सुरेश रैना ने ने 14 साल की उम्र से क्रिकेट सीखकर खेलना शुरू किया | वह घरेलू क्रिकेट के सभी प्रारूपों में उत्तर प्रदेश के लिए खेलते हैं। वह इंडियन प्रीमियर लीग में गुजरात लायंस के कप्तान थे, और चेन्नई सुपर किंग्स के वर्तमान उप-कप्तान हैं। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की है और भारत की कप्तानी करने वाले अब तक के दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं। वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज हैं।
रैना ने जुलाई 2005 में श्रीलंका के खिलाफ 19 साल की उम्र में अपना वनडे डेब्यू किया था | हालांकि, उनका टेस्ट डेब्यू लगभग पांच साल बाद, जुलाई 2010 में उसी विपक्ष के खिलाफ हुआ। उन्होंने अपने टेस्ट डेब्यू पर शतक बनाया। वह 2011 क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे

2. Bharat Sundaresan :-

Bharat Sundarsen and MS Dhoni with the book Dhoni

भरत सुन्दरसन ने 2018 में महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर The Dhoni Touch के नाम से लिखी थी |

भरत सुन्देरेसन एक पुरस्कार विजेता क्रिकेट से जुड़े लेखक हैं, जो ऑस्ट्रिलिया के Adelaide में रहते हैं | वे प्रसिद्ध क्रिकेट वेबसाइट cricbuzz और Indian Express में अपनी सेवा देता हैं | भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर किताब , The Dhoni Touch उनके द्वारा ही लिखी गयी थी | जिसको पाठको ने बहुत पसंद किया |

Believe book Reveiw

सुरेश रैना ने की इस किताब का शीर्षक आसानी से हमे बताता है कि इस किताब के अंदर किस बारे में बात हो रही है | Believe: What life and cricket taught me, उनकी जिन्दगी में एक बात है , जिसने उन्हें बहुत प्रेरित किया | वह यह कि अपने आप विशवास करना , यही बात उन्होंने अपनी जिन्दगी में और क्रिकेट से सीखी है |

अपनी किताब के प्रमोशन के लिए Times of India को दिए हुए पाने इंटरव्यू के दौरान , सुरेश रैना बताते हैं कि उन्होंने अपनी किताब का क्यों Believe क्यों रखा | सुरेश बताते हैं कि जब वे अपने करियर के मुश्किल दौर से गुजर रहे थे उनका अपने आप पर से विश्वास कम हो रहा था , ऐसे में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने उन्हें यह advice दी थी, अपने आप पर विश्वास करने की | और यही बात सुरेश अपनी किताब के माध्यम के से अपने प्रशंषको और पाठको को बताना चाहते हैं |


“Believe, सचिन तेंदुलकर ने उनसे कहा- और उन्होंने इसे दिल पर ले लिया, टैटू के रूप में अपनी बांह पर शब्द अंकित किया। इस पुस्तक में, सुरेश रैना आपको एक युवा क्रिकेटर के रूप में सामना की गई चुनौतियों के बारे में बताते हैं। उन्हें स्कूल में तंग किया गया था और क्रिकेट शिविरों में, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने वजन से ऊपर मुक्का मारा, जीवन की हर विपरीत परिस्थितियों पर काबू पाया और कभी हार नहीं मानी।

यह उनके द्वारा सीखे गए सबक और उनके द्वारा बनाई गई दोस्ती की कहानी है। खेल और जीवन के बारे में अमूल्य अंतर्दृष्टि से भरपूर – रैना ने राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली जैसे वरिष्ठ सहयोगियों से हासिल किया है, यह पुस्तक आपको कड़ी मेहनत, प्यार, भाग्य, आशा और सौहार्द की शक्ति में विश्वास दिलाएगी।

प्रकाशक द्वारा पुस्तक के बारे में

पुस्तक का सार

यह एक प्रकार से प्रेरणादायक संस्मरण है , जिसमे अपने आप विशवास करने की बात पर जोर दिया गया है |जिससे हम अपने किसी भी काम में अपना हार्ड वर्क , नियमित तौर पर देते रहे |

सुरेश रैना ने इस किताब में अपने क्रिकेट करियर की एक झलक साझा की जिसमें सफलता, असफलता, चोट, झटके और वह इसके शीर्ष पर कैसे आए के बारे में बताया है |
उन्होंने खुलासा किया कि कैसे बीसीसीआई, वरिष्ठ खिलाड़ियों और एयर इंडिया की छात्रवृत्ति ने उन्हें छात्र जीवन के दौरान एक क्रिकेटर के रूप में विकसित होने में मदद की।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि दक्षिण अफ्रीका के पूर्व महान जोंटी रोड्स द्वारा भारत में सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक के रूप में नामित होना बहुत अच्छा था और युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ, गौतम गंभीर, राहुल द्रविड़ की पसंद के साथ खेलने के अनुभव से सीखा।
पुस्तक में, उन्होंने आशा, प्रेम, काम और सौहार्द के महत्व को बताया, जिसने उन्हें दुनिया के सबसे सम्मानित सफेद गेंद वाले बल्लेबाजों में से एक बना दिया।

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