इस लोकडाउन में किसी को अपनी नौकरी के छूटने के दुःख है,तो किसी को घर पर कैद रहने का ।किसी को अपने शहर छोड़कर ,गांव में रहने का भी दुःख है तो किसी को अपने व्यापार के खत्म होने का दुःख, ऐसे ही मुझे भी एक दुख है । मुझे दुःख है कि मैंने अपने एक दोस्त का दोस्ताना खोया है, उसकी और मेरी दोस्ती काफी अच्छी दोस्ती थी ,क्या था कैसा था ,क्यो था ,ये सब वैसा ही था जैसे होता है ,ज्यादा नही कहूँगा इस पर।बस यही कहूंगा कि सब कुछ अच्छा चल रहा था…….
कहते है ना यदि कोई दोस्त आपके साथ 7 साल तक रह जाय तो वह जिंदगी पर आपके साथ रहेगा आपका साथ देगा इसकी सम्भावनाये बढ़ जाती है।
हम दोनों की दोस्ती को भी 7 साल इसी महीने पूरे होने थे , लेकिन हम दोंनो की दोस्ती के बीच चुपचाप, दबे पाँव एक मोबाइल गेम आ गया ,और हम दोनों की दोस्ती में सन्नाटा कर गया।
पहले करियर-कॉलेज पर दोनों का चिंतन हुआ करता था , लेकिन कोरोना ने इसे चिंता का विषय बना दिया, इस चिंता को दूर करने के उद्देश्य से एक गेम डाऊनलोड हुआ था ,और यह अपने काम मे कामियाब रहा,अब हुआ ये की इसने न सिर्फ करियर-कालेज की चिंता को दूर रखा बल्कि दुनिया में हर चिंता-चिंतन के विषयों को भी दूर रखा ,एक बन्द कमरे में,अपनी मोबाइल फोन की स्क्रीन में एक अलग ही दुनिया बन गई ,कुछ पुराने भी हैं तो कुछ नए साथियों के साथ एक अलग ही कम्युनिटी को जन्म पैदा हो गयी थी….
मेरे दोस्त ने मुझे समझाने की कोशिश की, इस गेम की जगह कुछ अच्छी चीजें देखने के लिए कहा ,लेकिन आप तो जानते ही होंगे ,”दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कोन है?” मैने उल्टा उसके फोन में उससे भी यही गेम डाऊनलोड करवा दिया ।
शुरुआत में दोनों मिलकर खेला करते थे,यहाँ भी अच्छा था ,बेहतरीन था,लग रहा था दुनिया का सबसे खुशनशीब इंसान में था, लेकिन आखिर कब तक ये सब कुछ चलता , मेरा दोस्त इसे खेल रहा था ,जैसे ही उसे लगा की यह मोबाइल गेम ,उसके प्राथमिक कार्यों की जगह के रहा है ,वास्तवकिता से उसे दूर ले जा रहा है तो उसने खुद यह गेम हटा दिया और मुझे भी यही सलाह दी ,लेकिन “दुनिया का सबसे समझदार व्यक्ति कौन ?”आप जानते ही होंगे।
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मैंने उसकी बिल्कुल भी न सुनी ,उसने मुझे समझाया, वास्तविक तथ्यों से मुझे अवगत कराया ,ये बाते एक पल के लिए तो अच्छी लगती थी ,लेकिन जैसे ही में उस गेम की आभासी दुनिया में जाता मैं खुद को भूल जाता …….
अब आगे जैसे-जैसे दिन गुजरते गए ,पहले जहाँ मैं अपनी दुनिया सिर्फ व्यस्त रहता था ,अब मैं वहीं का बस गया,अपने जैसे और साथियों का यहां बसेरा देख कर मैं खुश था।
सब कुछ अच्छा था बस कमी थी तो मेरे यार की,जिसने इस बीच अपने मनोरंजन से ज्यादा अपने कौशल पर ध्यान दिया… …।
इस आभासी दुनिया में मुझे आनंद बहुत आता है ,लेकिन एक चीज का अहसास मुझे हो गया है ,कि मुझे कहीं नहीं ले जायेगा, बल्कि मुझे कहीं का भी नहीं छोड़ेगा।इसलिए इस व्यूह से अब निकलना चाहता हूं।
खैर मेरे दोस्त का एक ऑनलाइन वेबिनार का लिंक मुझे आज कहीं से मिल गया है , उसका ऑनलाइन पढ़ना, वेबिनार वगेरा तो समझ में आता है लेकिन उसका खुद ऑनलाइन वेबिनार होस्ट करवाना मेरे लिए आश्चर्य की बात है।
खैर उसके एक वेबिनार का प्रोमो मुझे भी काफी अच्छा लगा है, जिसमें उसका विषय कुछ “छोटी-छोटी आदते,मगर बढ़ी बातें” है ,मैंने उसका 399₹ का सब्क्रिप्शन ले लिया है एक शीट बुक कर ली है…….
वैसे उस दिन वह मुझे ये बाते मुफ्त में बताने वाला था ।
लेकिन आज…………….😣😣😣😣😣
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@ASHISH_JAGGI
{NOTE:- THIS IS PURE WORK OF FICTION ,INSPIRE FROM OUR NOWDAYS REAL EXPERIENCE}
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O bhai ab hogi tabai
वही तो जग्गी जी फुर्सत सभी के पास है लेकिन वक्त किसी के पास नही ।
Good line nd keep writing gbu full support😍
बहुत ही सुन्दर…