धुमाली गाँव की एक बच्चे की कहानी

धुमाली गाँव में कई सालों से लगातार बच्चे गायब हो रहे थे | कौन इन बच्चों को गायब कर रहा है , क्यों कर रहा है ? किसी को कुछ भी पता नहीं था | गाँव के लोगों ने अपने बच्चो को ढूँढने का बहुत प्रयास किया लेकिन न बच्चो का पता चला और न उस आदमी का जो ये बच्चे गायब कर रहा था | आदमी ! वह आदमी ही है या कोई और , इसका भी किसी को कोई सुराग तक नहीं मिला |

ऐसे में गाँव के लोग अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए , उन्हें कहीं भी अकेले नहीं छोड़ते थे | हमेशा उन्हें देखरेख में रखा जाता था | सुबह स्कूल जाने से लेकर शाम को खेलने जाने तक ,हर समय उनके साथ कोई रहता ही था | इस चीज को बड़ी गंभीरता से लिया जाता था |

नतीजतन , भले अभी भी बच्चो के गायब होने का कारण पता नहीं चला लेकिन काफी समय से कोई भी बच्चा गायब नहीं हुआ था | ऐसे में गाँव के लोग धीरे-धीरे बच्चों की निगरानी में थोड़ी बहुत ढील देने लग गये | हाँ अब भी लेकिन बच्चो को कहीं भी अकेले जाने नहीं दिया जाता था |

हारिस ! 10-12 साल का लड़का अक्सर गाँव में अकेले रहना पसंद करता था | अकेले स्कूल जाता , अकेले वापस आता | शाम को भी पहले घर से बाहर निकलता नहीं था , निकलता भी तो  अकेले ही जाता | अकेले रहने पर वह कई बार गाँव के आते-जाते लोगों से डांट खाता रहता था |

डांट से बचने के लिए भी और कभी खुद उसका भी मन करता था कि वह गाँव के और बच्चो के साथ खेले | हारिस के आते ही गाँव के ये लड़के अपना खेल बदल देते थे | हारिस उनके खेल का खिलाड़ी नहीं बल्कि उनका खेल बन जाता था , जिसके साथ वह अब खेलना शुरू कर देते | हारिस के साथ तरह-तरह के खेल होते , लेकिन सबका नियम एक ,सबका उद्देश्य एक ही होता था | हारिस को परेशान करना | उसके चमकते चेहरे को रौंदू से चेहरे में बदलना और फिर रौंदू-रौंदू कह कर उसका मजाक उड़ाना |

गाँव में हो या स्कूल में हारिस को परेशान करने के तरह-तरह तरीके उन्हें आसानी से सूझ जाते | 1-2 साल पहले जब ये सभी गाँव की एक ही प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे | छुट्टी के समय घर के रास्ते में बैठते बाकी सबको जाने देते और फिर हारिस की क्लास लगाना शुरू कर देते | उसे उनमे से किसी के साथ थप्पड़ फाइट करने के लिए कहते , जो  पहले रोयेगा वो हार जाएगा | और जो हारा वह सबके हाथो से चांटे-थप्पड़ खायेगा |

ये सब कुछ तय रहता था , थप्पड़ फाइट में हारिस के आँखे पहले दर्द बयां करती थी खेल के नियम के परिणामस्वरूप , हारिस के सेब जैसे गाल शाम को घर आते-आते सच मे लाल हो जाते थे |

 ये बाते हारिस चाह कर भी घर बता नहीं पाता था| इन सब से बचने के लिए हारिस उनके साथ नहीं रहता था | पहले तो उसकी मजबूरी थी उसके पास कोई विकल्प नहीं था |  लेकिन अब वह दूसरी स्कूल में पढ़ता था और वो लड़के दूसरी में इसलिए अब उनसे कम ही मुलाकात और मुकालात होती थी |

दूसरी स्कूल गाँव से दूर थी जहाँ आस –पास के गाँव के बच्चे भी आते थे | नई स्कूल में नए बच्चों से हारिस की दोस्ती भी जल्दी हो गयी | जिसमे आनंद और सुमित सबसे करीबी थे | क्लास में तीनो एक साथ बैठते , पढ़ते , लिखते और साथ-साथ में खेलते | बीते  महीनों में तीनो की दोस्ती भी गहरी होती गयी | सुमित और आनंद दुसरे गाँव के थे इसलिए वह उनसे सिर्फ स्कूल में ही मिल पाता था |  

शाम को घर आने पर गाँव के बगीचे में जाता , जहाँ गाँव के परेशान करने वाले बच्चो का समूह एक जगह पर खेल रहा होता वहीँ हारिस उनसे छिपकर एक जगह पर बैठा रहता |

वह उडती हुई चिडियों की चहचाहट से सुर मिलाता , कीट-पंतगो की मौन बाते सुन लेता , मधुमक्खियों को लाल-पीले रस भरे फूलों को दिखाकर , उनकी शहद की तलाश पूरी करता | गिलहरियों और छिपकलियों की दोस्ती करवाता | चिड़ियों को घोंसला बनाने के लिए उन्हें तिनके तोडकर देता |उड़ती हुई तितलियों की नकल करता, चीटियों की परेड को कॉशन-कमांड देता । सुमित और आनंद के आलावा ये सारे उसके  सच्चे दोस्त  थे |

एक दिन शाम के वक्त जब दिन पूरा होने को आया और रात का शुरूआती अँधेरा पर गाँव भर छाने लगा, गाँव के बिगडैल बच्चो ने हारिस को बगीचे से वापिस आते हुए देख लिया | बहुत दिनों के बाद आज उन्हें हारिस दिखा था | हारिस को परेशान करने का खुरापात भी उनको दिखते ही सूझ गया |

हारिस अकेले घर आ रहा था | मन में एक डर लिए कि उसे आज घर वाले डांटेंगे | घर जाने में उसे देरी जो हो गयी थी | डांट-फटकार पड़ने के इस डर की वजह से इसकी कदमो की रफ़्तार तेज थी | वह घर के पास पहुंचा ही था कि उसके आगे एक छोटा सा पत्थर गिरा | वह थोडा रुका, देखा और फिर अपना अगला कदम आगे बडाने ही वाला था कि एक पत्थर उसके सामने गिरा |

पहले उसे लगा कि ये पत्थर  दीवार से गिर रहे हैं , लेकिन जब गिरने वालो पत्थरो की संख्या बढ़ने लगी तो इस बात का एहसास हुआ कि ये पत्थर गिरे हुए नहीं बल्कि फेंके हुए पत्थर हैं |

अभी दिल में घर की डांट-फटकार पड़ने का डर था ,लेकिन अब डर इस बात कि ऊपर कौन है जो उसे डरा रहा है |

हारिस थोड़ी देर वहां रुका रहा , उसने आखिर बार चारो ओर देखा और अपनी बढती हुई धडकन से भी तेज रफ़्तार में दौड़ने ही लगा कि ऊपर से ……….व्व्व्वहाहा!!!!!!! व्व्व्वहाहा!!!!!!!  आवाज के साथ छिपे हुए लड़के कूदकर हारिस के सामने आ गये |

यूँ अचानक ऐसी डरावनी आवाज और सबको ऐसे साथ में देखकर  हारिस की हालत खराब हो गयी | तेज धडकता हुआ दिल एक पल के लिए रुकते-रुकते बच गया | हारिस को यूँ डरा और सहमा हुआ देखकर, बाकी बच्चों का मोटिव पूरा हो गया | फिर क्या ! सारे बच्चे हारिस को फट्टू,फट्टू कह कर चिढाने लगे , हंसने लगे | यह फट्टू , फट्टू कहना बंद नहीं हुआ, जब तक हारिस रोने न लगा | हारिस ने जब रोना शुरू किया तो बच्चो ने फट्टू , फट्टू कहना बंद कर दिया और फिर से रौंदू , रौंदू कहना शुरू कर दिया |

यूँ तो हारिस के आसानी से आँशु बहाने से लड़को का  मकसद भी  पूरा हो जाता था, लेकिन आज हारिस बहुत दिनों के बाद हाथ लगा था | रात का अन्धेरा भले ज्यादा होने लगा था ,घर के लिए देर भी हो रही थी ,लेकिन अब हारिस के आँखों से आंशुओं के बाद उसका पेशाब निकालने की बारी थी |

उसे घर जाने के बजाय , गाँव के दुसरे कोने तक भागकर जाने को कहा | जाहिर सी बात थी ,  हारिस अपने आप तो भागना पसंद करेगा नहीं इसलिए उसे मजबूरन भगाया गया | उसके पीछे दो तीन लड़के उसे डराते हुए भगा रहे थे | हारिस को यूँ रोते-रोते भागते हुए देखकर सभी बहुत मजे ले रहे थे , खासकर हारिस का पीछा करने वाले लड़के | आखिर वे ये सब ज्यादा नजदीक से देख रहे थे |

उनके लिए सब कुछ सही चल रहा था | हारिस और उसका पीछा करने वाले लड़के काफी दूर तक चले गये थे , इसलिए न हारिस की रोने की आवाज आ रही थी और न ही बाकी लड़को की हंसने की आवाज |

इधर पीछे एक जगह पर हारिस और अपने साथियों का इन्तेजार कर रहे बदमाश लड़के, इस घटना का मजा ले रहे थे | रात के अँधेरे में उन्हें  यूँ अकेला देखकर, गाँव के बड़े लोगों ने उन्हें डांटकर घर भगा दिया |

जाने का मन तो नहीं कर रहा  था , क्योंकि अभी हारिस का रौंदू चेहरा और गीली पेंट देखकर और जो हँसना था | लेकिन उन्हें भी पता था अभी सिर्फ डांट पड़ी है, टाइम पर घर नहीं गए तो इसके बाद मार पड़ेगी | हारिस की पेंट गीली हो या  न हो लेकिन घर में पड़ने वाली कुटाई से उनकी पेंट सिर्फ गीली नहीं पीली भी हो सकती है |

उन्हें इस घटना का क्लाइमेक्स मिस करना पड़ा | इस उम्मीद में कि आगे का हाल कल स्कूल में उनके बाकी के दोस्त बता देंगे | बाकी के मजे स्कूल में लिया जाएगा |

रात में चाहे कितना ही गहरा अँधेरा क्यों न हो , सुबह होते ही  कोनो-कोनो का अँधेरा छंट जाता है | रात को डराने वाला सन्नाटा , सुबह को सुकून देने वाली शान्ति में तब्दील हो जाता है | झिंगुर-कीटों की कर्कश आवाज़े सुबह को चिड़ियों की सुरीले शोर में बदल जाती हैं | हवाओ में ताजगी रहती है , वादियों में गाड-गधेरों की  गुनगुनानें की आवाज गूंज रही होती है |

धुमाली गाँव में हर सुबह अक्सर ऐसी होती थी ,लेकिन आज चिड़ियों के सुरीले शोर से ज्यादा और गधेरे की गूंज की आवाज से ज्यादा , गाँव के लोगों में मची हलचल के शोर में कहीं गुम थी |

महीनो बाद आज एक खबर ने पुरे गाँव भर में हाहाकार मचा दिया |  हारिस और उसका पीछा करने वाले बच्चे घर नहीं आये थे | बच्चे फिर से गायब होना शुरू हो गये | इससे पहले एक बार में एक ही बच्चा गायब होता था , इसलिए किसी को अकेले में रहने से टोका जाता था | इस खबर ने गाँव के सारे बच्चो को अपने घर में ही कैद करके रख दिया | सारे गाँव का वक्त रुक गया था |

इधर हारिस और बाकी लड़के कहाँ थे ! ये खुद उन्हें भी नहीं पता था | सुबह को हारिस की आँखे खुली तो एक अँधेरी गुफा में अपने साथ 10-12 लड़को के साथ देखा , उसकी समझ में कुछ नहीं आया | आखिरी रात जब वह रोते-रोते किसी चीज से टकराया था उसके बाद क्या हुआ ? यहाँ कैसे पहुंचा ? ये कौन सी जगह है ? उसे कुछ पता नहीं |

सामने पर लेटे बच्चों और उनकी ऐसे हालत देखकर वह हैरानी में था | उसी की उम्र के बच्चे लेकिन हालत किसी बूढ़े-मरीज की तरह हो रखी थी | आँखों के चारों ओर पड़े काले घेरे में आँखे किसी ब्लैक होल की तरह दिख रही थी | शरीर पर सिर्फ हड्डियाँ दिख रही थी और इन हड्डियों पर कपडे ऐसे दिख रहे थे जैसे कील पर कपडे टंगे हो |

कुछ देर बाद जब एक बच्चा अपने थकी नींद से जागा तो , हारिस को देखकर मरी हुई मुस्कराहट देने लगा | हारिस से कुछ बात करने की नाकामियाब कोशिश करने लगा | यह देखकर हारिस ने अपने सारे सवाल उस पर दाग दिए | उसके पास जवाब तो थे , लेकिन जवाब को आवाज देने में पूरी तरह से असमर्थ था | उसने हारिस को इशारा करते हुए अपने पीछे के दृश्य को देखने को कहा |

इस दृश्य में सिर्फ हारिस ही नहीं सबके सवालों के जवाब दिख रहे थे |

पीछे दो बूढ़ी औरते थी जो बिलकुल भी औरतों की तरह नहीं लग रही थी | दोनों के पीठ पर बड़ा सा कूबड़ था , जिसकी वजह से दोनों झुक कर हाथ में टेड़ी छड़ी के सहारे चल रहे थे | बरगद के पेड़ की लटाएं जैसे उनकी बालों के गुच्छे जमीन को छूने की कोशिश कर रहे थे | और दोनों के कपडे जमीन पर झाड़ू लगा रहे थे |

गुफा के एक कमरे में कैद हारिस ने यह दृश्य , उस कमरे की एक दीवार के छेद से देखा | इन दोनों को देखकर , हारिस को बचपन की उन कहानियों की याद आने लगी जिनमे अक्सर एक काणी बुडिया लोगों को परेशान करती थी | उसके लिए ये वही थी |

वे किसी जानवर की खोपड़ी में , कुछ नीला सा दिखाई देने वाला तरल पदार्थ गर्म कर रही थी | मधुमखियों का शहद ,गौरेया के अंडे, चूहों के बाल , खरगोश के दांतों को पीसकर बना पाउडर , गिलहरियों का लार और गिरगिट की खाल से  बने गाड़े नीले रंग के रस को पीने से पहले उसमे सबसे जरुरी …. इंसानों के आंशुओं को मिलाती | आखिर इसीलिए तो ये बच्चो को पकडती थी , उन्हें रुलाना बड़ा आसान होता था | इस रस को पीने से ये तीनो काणी बुडिया पहले से ज्यादा जवान और सुन्दर दिखने लगती | उनके लिए यह एक तरह का अमृत रस था |

आज काफी नए बच्चे यहाँ थे | रस तैयार हो चुका था , रस को पूरा करने के लिए बच्चो के ताजे आंशुओ की जरुरत थी | एक काणी बुडिया , अन्दर आ गई | हारिस से पहले वहां पर मौजूद उसके साथ उठाये गए बच्चो को रुलाने लग गयी | यह काम बहुत आसान था , सिर्फ उनके सामने जाने की जरुरत होती | बच्चे अपने आप अपने आँखों  से आंशू बहाने लगते |

अपनी जवानी और सुन्दरता बनाये रखने के लिए उन्हें इस तरह के रस को हर हफ्ते पीने की जरुरत होती | रोज-रोज इस काम से बचने के लिए उन्होंने फैसला लिया था कि वे एक बड़े बर्तन में बहुत सारा काढ़ा बनायेंगे | ताकि यह काफी  हफ्तों-महीनो तक उनको जवान और सुन्दर बनाये रखे |

इसलिए आज इतने सारे बच्चे गायब हुए थे |  मधुमखियों के छत्ते बर्बाद हुए थे , पेड़ो की टहनियों में बने घोंसले उजड़े थे |

थोडा-थोड़ा सबके आंशू निकलने के बाद जवान होती बुडिया हारिस के पास आई | हारिस डरा हुआ जरुर था , लेकिन इस समय उसके आँखों से एक भी बूँद आंशू का नहीं था | जिसके आँखों से आंशुओ के निकलने के लिए सिर्फ बहाना ही काफी होता था , आज इतनी बड़ी वजह होते हुए भी , इन आँखों से एक भी आंशू नहीं निकला | यह देख कर  यहाँ मौजूद हर कोई आश्चर्य में था | वह बुडिया यह देखकर गुस्से में आने लगी |

आज तक कभी किसी बच्चे को रुलाने के लिए , उन्हें कभी कुछ करने की जरुरत ही नहीं पड़ी थी | हारिस के आँखों से आंशू जब निकले नहीं तो बात उनके स्वाभिमान पर उतर आई | वे अब हारिस को रुलाने के लिए , उसे दर्द देने लगी | पहले हारिस को कुछ चांटे मारे , चांटो से कुछ नहीं हुआ तो चांटे-थप्पड़ में बदल गए | हारिस का गाल लाल हो गया लेकिन उसके आँखों से अभी भी आंशू नहीं निकले |

कुछ देर बाद वहां बाकी की दोनों बुडिया भी आ गयी | उन्हें चिंता होने लगी , जो काढ़ा उन्होंने बनाया है, उसमे यदि समय पर आंशुओ को नहीं मिलाया गया तो वह बर्बाद हो जाएगा |

तीनो ने हारिस को पकड़ा, उनमे से एक अपने भद्दे से दिखने वाले नुकीले नाखूनों को हारिस  की आँख के पास ले गयी | हारिस ने पहले अपनी आँखे बड़ी की, लम्बे होते नाखुनो को देखकर उसने आँखे बंद की और जोर की एक चींख लगाई |

हारिस की चींख इतनी तेज थी कि  सभी को अपने कान बंद करने पड़े | हारिस के आँखों को नोछ्ने  के लिए उसकी आँखों के पास ले जाती हुई बुडिया ने भी अपने हाथ कानो पर लगा दिए |

हारिस की चींख की वजह से वह और ज्यादा गुस्सा हो गयी | उसने अपने एक हाथ से अब हारिस का मुंह बंद किया और फिर से उसकी आँखे नोछने के लिए अपने नाखून , उसकी आँखों के पास ले गयी |

नाखून अभी आँखों की पलकों को उखाड़ने वाले थे कि गुफा में कुछ हलचल होने लगी |  सन्नाटे की वजह से डरावनी गुफा में कुछ शोर गूंजना लगा |

बुडिया ने हारिस के हाथ-पाँव छोड़ दिए ,तीनो इधर-उधर देखने लगी | जब आस-पास कुछ दिखाई न दिया तो , बुडिया ने अपने लम्बे-नुकीले नाखून फिर से हारिस की आँखों को नोछ्ने के लिए आगे किये तो , वहां न हारिस था और न ही हारिस की आंखे | तीनो की नजरे इधर-उधर हारिस को तलाशने लगी | वे जैसे ही मुड़ी , एक मधुमक्खी ने उसकी आँख की पीली पुतली को नीला कर दिया | इससे पहले बाकी बची काणी बुडिया कुछ समझ पाती, मधुमखियों के झुण्ड ने उन दोनों को भी घेर लिया | वे नीचे गिरी तो छिपकलियों और गिलहरियों की सेनाओं ने अपना हमला कर दिया | अपने आप को बचाने के लिए , वे अपनी छड़ी को पकडती तभी कुछ चिडियों ने उनके हाथो पर चोंच मारना शुरू कर दिया |

गुफा के अन्दर हलचल और शोर बड़ने लगा था | इन्होने आज तक जितनो के घर बर्बाद किये थे , ये सभी उसका बदला लेने लगे थे |

यह संग्राम चलता रहा , इतने में हारिस ने वहां कैद हुए सभी बच्चो को बाहर निकालना शुरू कर दिया | तीनों बुढ़िया अब उसी आग में तड़पने लगी जो उनके लिए अमृत उबाला करती थी ।

तीनो चुड़ैले मर चुकी थी … हारिस की चीख की वजह से , उसका सही समय पर न रोने की वजह से , उसका बहादुरी से सबकी जान बचाने की वजह से | इन तीनों चुड़ैलो की सबको तलाश थी लेकिन इनका कभी कोई पता नहीं चलता था , हारिस की चींख ने मधुमखियों से लेकर चिडियो तक को पता दे दिया था |

जिसकी वजह से धुमाली गाँव में गायब होने वाले सारे बच्चे वापस अपने-अपने घरो में पहुँच गये थे | हारिस का यह कारनामा पूरे क्षेत्र में फैल गया था ।

इके बाद अब कुछ बदल गया था , कुछ पहले जैसे सामान्य हो गया था तो कुछ बिलकुल नया सा शुरू हो गया था | अब गाँव में बिगडैल बच्चों की गुटबाजी खत्म हो गयी थी । हारिस को कोई भी रौंदू-रौंदू कह कर कोई नहीं चिढ़ाता था । गाँव भर में उसकी एक नई छवि बन चुकी थी ।

हारिस को अब भी गांव के बगीचे में अकेले बैठना ज्यादा पसंद लगता था , चिड़ियों के साथ तिनके इकट्ठे करना , मधुमक्खियों को रसभरे फूलों का पता बताना , चीटियों की कतार से बिछड़ी हुई चीटियों को वापस कतार में लगाना , गिलहरियों और छिपकलियों के बीच दोस्ती करवाना , तितलियों को उड़ते देख उनकी नकल करना , कीट-पतंगों के साथ चुगली करना उसे ज्यादा खुशी देता था ।

आखिर ये ही तो उसके सारे सच्चे दोस्त थे, जिन्होंने उसकी चीख सुनकर सबकी जान बचाई थी ।

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