हॉस्पिटल या फिर अस्पताल इंसानी दुनिया में मौजूद एसी जगहों में से एक है , जो अच्छी होने के बावजूद ,आम इंसान कभी यहाँ जाना नहीं चाहता | लोगों की जरूरत ,हास्पिटल जाने के लिए मजबूर करती है |
पहले के जमाने में जब अस्पताल कम या नहीं हुआ करते थे , लोग सिर्फ महामारियों से ही डरा करते थे | बाकी खांसी-जुकाम-बुखार आदि उनके लिए आम बात थी | आज अस्पतालों की संख्या बढ़ी है ,इनके प्रति लोगों का विश्वास भी बड़ा है और छोटे-छोटे रोगों के प्रति डर भी लोगो में बड़ गया है | अब इसे डर कहें या फिर सतर्कता ये मैं आप पर छोड़ता हूँ |
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि हमारे शरीर में बीमारियाँ खरगोश की तरह प्रवेश करती हैं और कछुए की तरह जाती हैं | कहानी का किरदार योगी इस बात को भली भांति जानता है | साल में कभी मौसम बदलने के दौरान सर्दी-जुकाम का होना ,कुछ अनाप सनाप खाने की वजह से पेट दर्द , सर दर्द आदि आम बीमारियों से वह परिचित है | इसलिए जब कभी ये बीमारियां खरगोश की तरह योगी के शरीर में आती भी हैं तो योगी जानता हैं कि कछुए को कैसे दौड़ाया जाता है |
कुछ नुश्खे उसे पता होते हैं जैसे – जुकाम-खांसी में बिना दूध की चाय में नीम्बू निचोड़कर बनी काली चाय ( लाल पानी) का सेवन ,अदरक-अजवाइन वाले गर्म पानी का सेवन आदि करना | लेकिन फिर भी आधुनिकीकरण की वजह से इस तेज दौड़ते इन्टरनेट की मदद से Google बाबा और Youtube मामा से दादी और नानी के नुस्खे पूछ ही लेता है | और जब कभी इससे भी बात नहीं बनती तो बंगाली क्लिनिक की गर्म दवाइयों को खाकर वह स्वस्थ हो जाता था | योगी के इन रोगों का अंत यही पर हो जाता था | बात कभी इससे आगे नहीं बढ़ी |
लेकिन दुर्भाग्यवश योगी पिछले एक हफ्ते में दो बार अस्पताल के चक्कर काटने के बाद अस्पताल में वार्ड नम्बर 67 में एडमिट है|
योगी तो निरोगी हैं और रहेगा , उसके यहाँ आने के कारण कोई बड़ा रोग नहीं था | बल्कि एक सडक दुर्घटना थी | हुआ यूँ कि एक सुबह योगी सड़क पर हमेशा और हर किसी की तरह मोबाइल पर कुछ देखते हुए , सर झुकाए आगे चल रहा था| उसके सामने 50-60 मीटर आगे आवारा बैल सडक पर पड़े कूड़े से कुछ खा रहा था | बैल ने योगी को अपनी ओर , गर्दन झुकाए आगे आते हुए देख लिया | बैल को लगा कि उसके खाने का एक और हिस्सेदार आ रहा है | जैसे ही योगी बैल के नजदीक जा पहुंचा,बैल ने अपने खाने पर हक जमाने के लिए , नाक से तेज सांस फूंकते हुए , अपना सिर हिलाया | योगी बैल और बैल की इस हरकत से बिलकुल अनजान था | वो तो अपने स्मार्ट फोन में व्यस्त और मस्त था ,झूमते हुए चल रहा था |
बैल के सांस फूंकने के साथ गर्दन हिलाने को अचानक यूँ देखते ही योगी को कुछ न सूझा | अभी तक जिस बैल को वह एक Whatsapp Forward Video पर सींग मारते हुए देखकर हंस रहा था , उसे यूँ एकाएक अपने-सामने देखकर योगी न कुछ समझने के हालत में था और न ही वह कुछ कर सकता था | जो समझना और करना था वह आवारा बैल ने कर दिया था |
योगी की चेतन शून्य अवस्था में था , लेकिन बैल के पैने सींगों के दायरे से दूर जाने के लिए योगी के अवचेतन ने उसे दूर धकेला |
योगी , बैल के सींगों से तो बच गया लेकिन पीछे से आती महेंद्र चाचा की खाली , तेज दौड़ती हुई गाडी ने उसे 2-3 मीटर दूर सडक किनारे लगवा दिया |
आधे सेकंड में यह छोटी सी घटना एक बड़ी दुर्घटना में तब्दील हो गई | वो तो भला हुआ कि योगी , निरोगी होने के साथ-साथ भाग्यशाली भी था ,जो यह दुर्घटना बड़े हादसे में तब्दील नहीं हुई | योगी का हल्का-फुल्का सा शरीर गाडी को कोई नुकसान नही पहुंचा सका |
दुभ्राग्य से यह एक बड़ी दुर्घटना जरुर थी, लेकिन सौभाग्यवश योगी को सिर्फ कुछ मामूली ही चोटें और खरोचे आई थी |
दायें पैर का घुटना थोडा सा छिल चूका था , दायें हाथ की हथेली और कोहनी पर खरोंचे थी जिनसे हल्का खून दिख रहा था | बाएं हाथ में हल्की सी सूजन भी जरुर आई थी लेकिन दर्द शरीर का दायाँ भाग ज्यादा कर रहा था | इधर योगी के होश उड़े हुए थे और उधर सडक किनारे पड़े उसके स्मार्ट फोन पर बैल अभी भी सींग मार रहा था |
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यह सच्ची घटनाओं पर आधारित एक लघु काल्पनिक कहानी का पहला भाग है , इस कहानी के शेष दो भाग जल्द ही प्राकशित किए जायेंगे | इस कहानी से सम्बधित आपकी आलोचना और सुझाव को हम अपना हक समझते हैं , इसलिए फेसबुक , Instagram , Twitter जैसे सोसियल साइट्स के माध्यम से या पोस्ट के नीचे कमेन्ट बॉक्स में हमें हमारा हक दें |
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