हिंदी कहानी : योगी इन द हॉस्पिटल {भाग -2 }

नमस्कार दोस्तों , हिंदी कहानी की इस कड़ी में आपका स्वागत है , यह हिंदी कहानी योगी इन द हॉस्पिटल का दूसरा भाग है | यदि आपने पहला भाग नहीं पढ़ा तो एक वह जरुर पढ़ लीजिये | हिंदी कहानी : योगी इन दा हॉस्पिटल (Part-1)

एकाएक घटी योगी के साथ यह घटना, एक बड़ी दुर्घटना में जरुर  तब्दील  हुई ,लेकिन  भला हुआ कि यह दुर्घटना बड़े हादसे में नहीं तब्दील हुई | जहाँ योगी का नाजुक-कोमल शरीर गाडी को कोई  नुक्सान नहीं पहुंचाया,वहीँ  इसके विपरीत गाडी ने उसे कुछ चोटे और खरोंचे जरुर दी | चोट वो जो दर्द के साथ खून खर्च करती हैं ,और खरोचे जो दर्द तो देत्ती हैं लेकिन खून खर्च नहीं बल्कि सिर्फ खून दिखाती हैं |

योगी का दायें पेर के घुटने, हथेली पर चोटे आई थी और बाई आँख के उपर माथे  पर खरोचें आई थी | इन जगहों पर दर्द तो जायज था लेकिन शरीर के और भी कई हिस्से दर्द कर रहे थे |

पास  के ही एक मेडिकल शॉप में जरुरी योगी दवा-दारु की गई | खुली चोटों को पट्टी और रुई लगाकर बंद कर दिया गया था और खरोंचो पर दिख रहे खून को को साफ़ करके एंटी बायोटिक क्रीम लगा दी गई थी |

कुछ दिनों में ही इन खुली चोटों और खोरोचो का दर्द चला गया, लेकिन बाएं हाथ में आई सूजन का दर्द योगी को तकलीफ देने लगा | यह दर्द पहले भी मौजूद था बस शरीर में आई और चोटों की वजह इस पर ध्यान नहीं गया |

योगी ने बाएं हाथ की हथेली पर गर्म पट्टी जरुर लगाई थी , जिससे दर्द तो कम जरुर हुआ लेकिन सूजन कम न हुई | योगी के हाथ में लगी इस गर्म पट्टी को जब लोगो ने देखा , तो कई लोगों ने सिर्फ इसकी वजह पूछी , तो कुछ एक लोगो का एक एसा वर्ग भी था जिन्होंने इसके इलाज के बारे में योगी को सलाह देना भी सही समझा |

सलाह , दुनिया में मौजूद एसी मुफ्त चीज है, जो लोगों को दी जाने में ज्यादा अच्छी लगता है बजाय लेने के | हर कोई ऐसे जगहों और मौके कि तलाश करता है , जहाँ उससे सलाह ली जाय | मुश्किल समय में किसी को अपनी तकलीफ बताइए , सामने वाला व्यक्ति आपकी मदद करें न करें लेकिन आपको सलाह जरुर देगा | अलग-अलग लोगो के पास अलग-अलग तरह की सलाहें होती हैं |  योगी को भी अलग-अलग तरह की सलाहों को सूनना पड़ा |

कुछ लोगों ने नमक पानी से सेंकने को कहा तो किसी ने गर्म कड़वे तेल की मालिश और हल्दी-दूध पीने को को कहा और किसी ने तो “मूव” ट्यूब ही उसके हाथ में पकड़ा  दी  जैसे वे हर दम इसे जेब में लिए ही घूमते हैं | कुछ लोगों ने डॉक्टर न बनते हुए , योगी को सलाह दी कि तुम्हे अस्पताल जाकर डॉक्टर  को दिखाना चाहिए | योगी के लिए ये सलाह बिलकुल नई थी  इसलिए योगी अगले दिन  अस्पताल जाने के लिए तैयार हो गया|

योगी अगली अगली सुबह हॉस्पिटल की ओर निकल गया ,उसे बस डॉक्टर से 2 मिनट ही बात करनी थी ,जिससे वह हाथ में आई सूजन के पीछे का विज्ञान और इसके इलाज की तकनीक जान सके | यह इतना भी आसान बिलकुल भी नहीं होने वाला था | डाक्टर अस्पताल की बड़ी चार मंजिला बिल्डिंग में कहाँ और कैसे मिलेगा योगी इस बात से अनजान था |

योगी को अस्पताल में इलाज होने के बारे इतना जरुर पता हा कि एक बार पर्ची कटवानी पढ़ती है | सुबह का समय था इसलिए पर्ची वाली लाइन में सिर्फ 6-7 लोगों की ही भीड़ थी | और योगी के लाइन में लगने से अब वह 7-8 लोगों की हो गई | पर्ची वाली लाइन एक खुली खिड़की के आगे लगी हुई थी , जिसके अंदर एक 35-40 साल एक आदमी कंप्यूटर पर कीबोर्ड के बटनों को दोनों हाथों  की केवल तर्जनी ऊँगली की मदद से दबाकर  नाम-उम्र और रोग लिखकर पर्ची काट रहा था | थोड़े से इन्तेजार के बाद योगी को भी उसका पर्चा मिला , जिसकी मदद से वह आधिकारिक रूप से अंदर जा सकता था | योगी को जिन्होंने  डोक्टर के पास जाने की सलाह दी थी उन्होंने ही से सुबह जल्दी चलने को भी कहा था , सुबह के समय भीढ़ कम ही रहती थी |

 योगी को पर्चे में निर्देशित किया गया था कि उसे तीसरी मंजिल में 42 नम्बर के कमरे में जान है | जैसे ही वह अंदर हॉस्पिटल में घुसा , सफ़ेद दीवारों पर लगे रंग-बिरंगे पोस्टरों  ने उसकी चाल धीमी कर दी | रक्त दान कीजिए क्योंकि अच्छा लगता है , हम दो हमारे दो ,स्वच्छ भारत  स्वस्थ भारत जैसे पोस्टरों में एक पोस्टर में योगी ने मुकेश की भी तश्वीर देखि जिसे अक्सर फिल्मों के शुरू होने और बीच में दिखाया जाता है | इन पोस्टरों  को देखकर योगी यही समझा की पोस्टरों  पर मुस्कुराते हुए चेहरे “स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय” द्वारा जनहित में जारी किए गये हैं |

भटकते हुए घूमने के बाद आखिरकार योगी अश्थिरोग विभाग तक पहुचं ही गया है | जहां की सफेद दीवारों पर नीले पोस्टर्स लगे ,जिनमे  शरीर की तमाम अलग-अलग हड्डियों के सफेद चित्र थे , हड्डी के सभी भागो के नाम महीन अंग्रेजी के अक्षरों पर लिखे गये थे | योगी को  समझ में कुछ नहीं आया , लेकिन देखकर अच्छा लगा |

अंदर डाक्टर पहले से ही की रोगी की जांच कर रहा था | और कमरे के बाहर पहले से ही  3-4 लोग मौजूद थे जो कि अपनी बारी के इन्तेजार में थे | यह नजारा ,एक विद्यार्थी के  स्कूल की परीक्षाओ के दौरान प्रक्टिकल वाईवा के समरूप और नौकरी के लिए साक्षात्कार देते समय इन्तेजार करते हुए कैंडीडेट के समरूप था |

योगी  इन्तेजार करने  के लिए बाहर लगी लोहे के लम्बे से बेंच पर बैठा | ऐसे में टाइम पास करने के लिए ज्यूँ ही योगी  ने  अपना फोन अपनी पेंट की जेब से निकाला  एकाएक उसकी नजर, ठीक उसके सामने बैठे  9-10 साल के बच्चे पड़ी, जिसके एक हाथ पर प्लास्टर लगा हुआ था  और गले से पट्टी के सहारे लटका हुआ था |

चुपचाप ,गर्दन बाएं कंधे की ओर झुकाए  , वह गोल सी आँखों और तिरछी नजर बनाये  सामने दीवार पर टकटकी लगाये हुए था | मानो वह उस सामने की  दीवार पर अपनी कल्पना के बिंब देख रहा हो | अपनी कल्पना-सोच में डूबे बच्चे को देखकर , योगी भी गहरे सोच-भंवर में गोते लगाने के तैयार हो गया |  मासूमियत लिए यह बच्चा काफी देर से यूँ ही बैठ रखा था | योगी जानना चाहता था कि आखिर ये क्या लिए सोच में बैठ रखा है ? वह इस सफेद दीवार पर कौन सा रंग ढूंढ रहा है ? योगी के मन में सवाल पैदा ही हुए थे कि बच्चे की माँ ने उसे पुकारकर ,  डूब रहे बच्चे को और योगी को कल्पना-सोच के सागर के किनारे लगा दिया | सर सीधा और गर्दन टाईट करके ,वह अपनी माँ की ओर मुड़ते हुए वहां से उठ गया | योगी और उसका ध्यान , वापस  हाथ में लिए फोन पर  आ गया |

योगी ने फोन निकाला था , ताकि उसे छेड़कर अपना मन बहलाए |  योगी फोन ऑन ही कर पाया था कि उसका  मन वापस उसे बच्चे पर ले  गया, जो कि वहां से चला गया था | उस बच्चे से होकर योगी अपने बचपन के उस दौर में चला गया, जहां उसके आलावा उसके सभी साथियों के हाथ टूटे थे | योगी अब अपने फोन की स्क्रीन पर नजर लिए , मन में उन  किस्सों को याद कर  रहा था, जब  अखरोट जैसे पेड़ की एक लम्बी शाखा पर झुला खेलते समय , सिर्फ पेड़ की शाखा ही नहीं टूटी थी बल्कि उसके दोस्त अज्जू का भी हाथ टूटा था | खेतो में क्रिकेट खेलते समय  बॉल कैँच पकड़ते हुए ,सिर्फ बलेबाज आउट नहीं हुआ था बल्कि उसका दोस्त अंशु भी हाथ टूटने की वजह से आउट हुआ था | जितनी भी बचपन के किस्से उसे याद थे , सब में चोट लगने की एक वजह थी वह थी खेलना-कूदना | इसलिए जब योगी इन धुंधली यादों से बाहर निकला तो उसने अंदाजा लगाया कि इस बच्चे का हाथ भी खेलते-कूदते समय ही लगा होगा | अंदाजा इसलिए क्योकि उस बच्चे की भारी पलकों के साथ नजरे झुका कर देखना , योगी को निष्कर्ष तक नहीं पहुँचने दे रही थी |

हाँ ! योगी अगर थोडा सोच की गहराई में और उतरता तो शायद वह निष्कर्ष तक पहुँच भी जाता, अगर वहां पर 30-32 साल का आदमी हॉकी स्टिक के सहारे लचकते हुए उसके बगल वाली खाली  सीट पर न बैठता |

चेहरे के एक ओर कुछ खरोंचे आई हुई थी , और माथे पर बाई ओर एक गहरी चोट का निशान था , जहां से बहुत खून बहा होगा | दायें पैर को सूजा देख , योगी ने उनसे बात करनी चाही लेकिन तभी उनके जेब में रखा फोन बजने लगा | वे करहाते हुए , खड़े हुए और थोड़ी दूर चलकर बात करने लगे |  योगी यही सोच रहा था कि आखिर कैसे यह हट्टा कट्टा आदमी इस हालात में पहुंचा होगा | शरीर और  चेहरे के हाव-भाव से तो एसा ही लग रहा था कि शायद यह किसी मारपीट का परिणाम होगा |

 थोड़ी दूर खड़े उस आदमी को फोन पर किसी ने  उससे पूछा कि कहाँ  है , तो जवाब सिर्फ हॉस्पिटल कहने पर खत्म नहीं हुआ | पूरा किस्सा सुनाना पड़ा ,कि  आखिर वह यहाँ क्यों आया है ओर कैसे आया है |

इधर योगी ने उस बातचीत को सुनने का असफल प्रयास किया | इसलिए योगी अब दुसरे सागर की गहराई में कूदा , जहाँ  इस बार उसे इस आदमी की इस हालत की वजह का सीपी ढूँढना था | 

योगी ने उसकी चोटों को आधार मानकर यह सोचा कि शायद कोई सडक दुर्घटना ने उसे अस्पताल का रास्ता दिखाया होगा | शायद उन बाइक सवार लडको की तरह जो सडक पर हमेशा अपना हुनर दिखाने के लिए तैयार रहते हैं| जहाँ से सुई नही घुस सकती वहां से बाइक को निकालने जैसा हुनर रखते हैं | योगी अपने अनुभवो के आधार पर एक हायपोथेटीकल निष्कर्ष की ओर पहुँचने वाला था कि तभी अंदर डाक्टर के कमरे से उसका नाम पुकारा गया |

डाक्टर के पूछने पर योगी सारी कहानी का सार संक्षेप में बताया, लेकिन डाक्टर ने अभी उसे कुछ बताया नहीं  | डाक्टर ने उसे x-रे जांच रिपोर्ट  लाने को कहा |  यही फर्क होता  है एक डॉक्टर में और एक आम आदमी में, हम बिना चोट देखे , सिर्फ चोट की वजह जानकर ही , चोट का इलाज  बता देते हैं | जबकि एक डाक्टर रोग से सम्बधित सभी जरुरी रिपोर्ट   देख लेने के बाद ,उसके पीछे का विज्ञान समझ लेने के बाद , वह इलाज की तकनीक के बारे में कुछ कहता है |

कुछ देर बाद योगी अपनी x-रे रिपोर्ट लेकर आया | उसे x-रे के बारे सिर्फ इतना पता था कि यह एक विद्युतचुम्बकीय तरंग है जो टूटी हुई हड्डियों की जांच में प्रयोग कि जाती है |

योगी रिपोर्ट ले कर वापस डाक्टर के पास गया, डाक्टर ने x-रे रिपोर्ट को देखते हुए कहा कि आपकी हड्डी टूटी हुई है , इसका इलाज सर्जेरी(ऑपरेशन) द्वारा होगा |

एक छोटी सी घटना एक बड़ी दुर्घटना होने के बावजूद ,उसमें मामूली चोटों का आना तो योगी मान सकता था | लेकिन मामूली सी दिखने वाली इस सूजन का एसा इलाज होगा ये बात वह मानने को तैयार न था | लेकिन इलाज करना जरूरत और मजबूरी दोनों ही थी |

डॉक्टर ने योगी को ऑपरेशन के लिए 3-4  दिन बाद की एक तारीख दी , और योगी ऑपरेशन से जुड़े सारी जांचे करवाकर वापस लौट चला |

योगी का रंग उतरा हुआ था , वह अब अस्पताल की सफेद दीवारों पर लगे पोस्टरों में मुस्कुराते लोगों की बजाय , अस्पताल में आये मरीजो के मायूस , दुखी ,चेहरे को देख रहा था | अचानक हॉस्पिटल में दिख रही इस भीड़ मी मौजूद हर व्यक्ति अलग-अलग प्रकार के रोगों से बेहाल थे | योगी को  लगभग हर उम्र,रंग, जाती ,वर्ग लिंग के लोग यहाँ अब अपने रोग के साथ अपना दुःख लिए भी नजर आए |

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प्रियतमा

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