Read Hyper focus book summary, Become More Productive ….

दोस्तों Aishblog के इस नए आर्टिकल में आप अस्भी का स्वागत है | हिंदी बुक समरी की इस अगली कड़ी में, आज एक ख़ास किताब की समरी को जानेंगे | जी हाँ दोस्तों, हमेशा की तरह , आज  सेल्फ-हेल्प , lifechanging बुक की , Chris Balley द्वारा लिखी गयी किताब Hyperfocus की समरी पढेंगे |

Hyperfocus,जैसे कि किताब के शीर्षक के ही पता चलता है, यह हमारे Focus और हमारी प्रोडक्टिविटी के लिए है| दोस्तों हम अपने रोजमर्रा के जीवन में अपने फोकस को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं |

आपने महसूस किया होगा की हमारा दिमाग कुछ चीजों पर आसानी से और बहुत देर तक फोकस कर पाते हैं , लेकिन  कुछ जरुरी चीजे ऐसी भी होती हैं , जिनमे थोड़ा सा भी फोकस करने में बहुत मुश्किल होता है |

इस आधुनिक दुनिया में हर जगह डिस्ट्रेक्शन ही डिस्ट्रेक्शन है , किसी भी पर काम फोकस करना आसान बिलकुल नहीं है | ऊपर  डिजिटल उपकरणों के उपयोग का नशा, हमारे फोकस को और प्रभावित कर रहा है |

दोस्तों Hyperfocus बुक की इस बुक समरी में  फोकस के पीछे के विज्ञान को समझेंगे और अपने काम पर फोकस को बडाने की कला सीखकर , अपनी प्रोडक्टिविटी को बड़ा सकते हैं |

FOCUS क्या है ?

दोस्तों प्रेक्टिकली या आम भाषा में , फोकस का अर्थ किसी चीज या काम पर पूरा ध्यान देना होता है |  हमारे पास किसी काम को करने के लिए , किसी चीज को समझने के लिए ,एक निश्चित समय तथा निश्चित ऊर्जा होती है | यह निश्चित ऊर्जा की मात्रा ही ध्यान कहलाती है |  इस ऊर्जा का  उपयोग एक समय में जिस काम पर ज्यादा होगा , उस काम में हमे उतनी ही ज्यादा सफलता की संभावनाए  मिलेगी | हम अक्सर कहते हैं की एक समय में एक ही काम करना चाहिए , इसके पीछे का विज्ञान ये है कि ,  एक समय पर एक ही काम करने में हम अपनी सौ फीसदी ऊर्जा लगा पाते हैं , जिससे उस काम में सफलता मिलने की सम्भावना भी सौ फीसदी हो जाती है |

लेकिन मल्टीटास्किंग यानि की एक समय में एक से अधिक कामो को करने में , हमारे शरीर-दिमाग ऊर्जा फ़ैल जाती है, एक समय में हम जितने ज्यादा काम करने की कोशिश करते हैं , उन कामो पर उतनी ही कम ऊर्जा लगती है |मतलब उतना ही कम फोकस कर पाते हैं |

हम कई बार फोकस करने में पूरी तरह असमर्थ रहते हैं , क्योकि  हमारे चारो ओर के Distraction  की वजह से  हम  काम पर फोकस नहीं कर पाते हैं | नतीजतन हम काम को बाद के टाल देते  हैं |

दोस्तों , फोकस न केवल हमारी उत्पादकता के लिए एक योगदानकर्ता के रूप में हमारी मदद करता है,बल्कि

इसके अलावा यह हमारे जीवन की समग्र भलाई का महत्वपूर्ण  कारक है ।

जितना Distraction आज की इस दुनिया में है, उतना कभी आज तक के विश्व इतिहास में नहीं हुआ है | दोस्तों इसलिए लेखक ने किसी काम पर गहराई से फोकस करने  के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी से दी है | जिसे लेखक ने हाइपरफोकस कहा है | और इस hyperfocus की मदद से हम और ज्यादा प्रोडक्टिव हो सकते है |

जब हम अपने सीमित ध्यान को बुद्धिमानी से और जानबूझकर निवेश करते हैं, तो हम गहराई से किसी भी काम पर फोकस कर पाते हैं और स्पष्ट सोच रख पाते हैं | जो कि आज की इस आधुनिक  दुनिया में बहुत जरुरी स्किल है |

चार प्रकार के कार्य

दोस्तों  हाइपरफोकस के लेखक ने कार्यों को चार भागो में बांटा है , आगे बढने से से पहले जिनका ज्ञान होना हमारे लिए बहुत फायदेमंद है |

  1. आवश्यक कार्य :- दोस्तों आवश्यक कार्य वे होते हैं , जो बहुत ही प्रोडक्टिव होते हैं लेकिन जिनको करने का कभी मन नहीं करता , मतलबी वे अपनी तरफ हमे आकर्षित नहीं करते हैं | जैसे कि बच्चो के लिए होमवर्क , ऑफिस की मीटिंग , प्रोजेक्ट फाइल तैयार करना आदि | इस प्रकार के कार्यो को हम अक्सर टला करते हैं |
  2. अनावश्यक कार्य :-  वे कार्य जो न तो प्रोडक्टिव होते हैं और न ही जरूरी , जैसे अपनी स्टडी टेबल को सुव्यवस्थित करना ,या फिर कंप्यूटर की फाइल्स व्यवस्थित करना  आदि | ये काम हमे ज्यादा परेशान नहीं करते हैं | हाँ , अपना कीमती समय इन कामों में लगाकर हमें बर्बाद नहीं करना चाहिए |
  3. डिसट्राक्टिंग काम :-  ये वे कार्य हैं , जो हमे अपनी सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं , लेकिन हमारी प्रोडक्टिविटी के लिए इन्हें ब्लैक होल माना जाता है | इनमे  सोशल मीडिया पर फ़ालतू की न्यूज़ फीड स्क्रॉल करना हो गया , Youtube, Netflix आदि  को देखकर टाइम बर्बाद करना आते हैं |  ये क्रियाकलाप हमारे लिए हमेशा रुचिकर होते हैं , इसलिए तो हमारे हाथ में रखा यह मोबाइल आज हमारी आत्मा बन गया है | 
  4. Purposeful Work :–  दोस्तों में आखिरी में आता है, सबसे महत्वपूर्ण  कार्य | ये वे कार्य होते हैं , जिनको करने लिए हमारा इस धरती पर जन्म हुआ है , जिनके साथ हमे सबसे ज्यादा वक्त गुजारना  चाहिए | ये कार्य  हमारे बहुत जरुरी बभी होते हैं  और यही कार्य होते हैं जिनमे हमारी प्रोडक्टिविटी बढती है | एक अभिनेता के लिये  अभिनय करना और अभिनय का निरंतर प्रयास करते रहना , एक खिलाड़ी के लिए अपने खेल को खेलना आर उसका प्रितिदीन प्रयास करना , एक कलाकार के लिए अपनी को हर रोज निखारते रहना ही उसका purposeful कार्य है |
Hyperfocus : Attentional Space
Four Types Of Work …

एक प्रोडक्टिव व्यक्ति वह होता  है , जो अपना अधिकतर समय और ऊर्जा का उपयोग , अपने purposeful कामों को करने में और अपने आवश्यक कार्यो को करने में लगाता है |

दोस्तों जिन्दगी का जो असली संघर्ष है ना वह यही है | इन चार कार्यों में से इन दो कार्यों को करने का संघर्ष |

इसलिये हमे जीवन में सबसे पहले आप जो करते आ रहे  हैं या फिर जो कर रहे हैं उन कार्यों की पहचान होनी जरुरी है | ताकि हम अपने आवश्यक कार्य और purposeful कार्यों को करने  में अपनी अधिकतम ऊर्जा लगा सके |

हमारी फोकस करने की निश्चित सीमा होती है :-

दोस्तों एक अच्छी और बेहतर जिन्दगी के सबसे जरुरी चीज है कि हम अपना ध्यान (Attention) | हम अपना ध्यान किन चीजो पर ज्यादा लगा रहे हैं , यही  हमारी जिन्दगी के आगामी परिणामो और परिमाणों को तय करता है | हमारी फोकस करने की क्षमता दो तरीके से सीमित  है | पहला ये कि   हम एक निश्चित मात्रा कीचीजों पर अपना ध्यान अथवा फोकस लगा सकते  हैं | इसका साधारण सा उदाहरण , हमारा मल्टीटास्किंग करना है | हम एक साथ एक निश्चित कामो को ही कर सकते हैं | जैसे कि खाना बनाते समय यदि संगीत सुन रहे हैं तो ऐसे में पढ़ नहीं सकते , टीवी देखते-देखते शायद हम अपना होमवर्क कर सकते हैं , लेकिन पढ़ नहीं सकते हैं |

University of Virginia में  psychology के professor Timothy Wilson   ने अपनी एक शोध में यह बताया है कि हमारा दिमाग एक सेकंड में करीब एक करोड़ बिट्स  की सूचना आक अनुभव करता है | और आपको जानके हैरानी होगी इस एक करोड़ बिट्स में से हमारा दिमाग सिर्फ 40 बिट्स की सूचना को ही प्रोसेस कर पाता है |

हमारी फोकस करने की क्षमता नियत है , इस बात को साबित करने के इए दूसरा तथ्य यह है कि  किसी काम पर फोकस करने के बाद , हमारे दिमाग में उस काम से सम्बधित बहुत कम सूचना ही अपनी शोर्ट टर्म मेमोरी में होल्ड कर सकते हैं |

आपने कभी गौर किया होगा, जब कभी किसी किताब-काहनी का एक पेज पढ़ा होगा, लेकिन आपको उस पूरे एक पेज में से ज्यदा सा ज्यादा एक – दो लाइन ही याद रहती है | जी हाँ  यह  हमारे फोकस करने की क्षमता की सीमा को प्रदर्शित करता है |

इसलिए किसी बड़ी सूचना को याद करने के लिए CHunking नाम की तकनीक बहुत कारगर होती है | चंकिंग नाम की इस तकनीक नाम उपयोग हम यूँ तो जाने अंजाने में बचपन से कर्ट आ रहे हैं , लेकिन इसका हमे ज्यादा ज्ञान नहीं है | आपने देखा होगा कि जब बचपन में हमे लिखना पढ़ना सीखाया जा रहा था , तो अक्षरों को याद रखने के लिए हमे उससे जुड़े फलों, आदि के चित्र दिखा कर याद कराया जाता था |

chunking का मतलब भी यही है कि हम किसी सूचना को याद करने के लिए उससे जुडी ऐसी चीज  को याद करना जिसे हम अभी भूल नहीं सकते | और जिसे याद करते ही  हम आसानी से किसी भी सूचना को कभी भी याद कर सके |

Attentional Space :- 

हाइपरफोकस किताब में आगे लेखक एक बहुत ही अच्छे विषय को समझाते  हैं | आपने गौर किया होगा एक कुशल  ड्राईवर गाडी चलाते-चलाते फोन पर भी आसानी से बात कर लेता है , हम असक्र गाना सुनते-सुनते अपने किसी और काम को भी आसानी से करते रहते हैं | ये सब कैसे संभव है ? जबकि हमेशा बताया जाता है कि हमें एक समय में एक ही काम को करना चाहिए , तो फिर एक साथ हम एक से अधिक कामो से इस्तनी अच्छी तरह से कर लेते हैं |

दोस्तों Attentional Space , इसकी विषय के बारे में है | इसका मतलब यह कि हम एक समय में किन चीजो-कारों के प्रति  सतर्क है , या किन कार्यो पर हमारा ज्याद फोकस है | दोस्तों यदि हमारा दिमाग  कंप्यूटर का प्रोसेसर है तो यह  Attentional Space RAM मेमोरी | इसे वर्किंग मेमोरी भी कहते हैं | यह एक शोर्ट टर्म मेमोरी है |

Hyperfocus :Attentional Space

इस Attentional Space में वे चीजें एकत्रित होती हैं जिन्हें हम वर्त्तमान में कर रह होते हैं | एक ड्राईवर यदि गाडी चलाते समय फोन पर बात कर रहा है तो समझिये कि इस समय उसके Attentional Space में गाडी चलाने और फोन पर बात करने से जुडी बाते उपयोग में ली जा रही है | 

दोस्तों जब आप इस पोस्ट को पढ़ रहे  है , तो आप जरुर कुछ और भी सोच रहे होंगे , अपने दोस्त के बारे  में , मेरी लिखी इसी प्सोत के बारे में , शाम को खेलने के बारे , कुछ भी हो सकता  है लेकिन ऐसा बहुत कम ही लोगो के साथ होता होगा की  वह किसी चीज को पढ़ते समय कुछ आर न सोचते  हो | 

जब हमे पता होता है कि हमारे Attentional Space में इस वक्त क्या चल रहा है , जब कभी हमारा ध्यान कही बिखर भी जाय तो आसानी से हम वापस अपने काम पर फोकस कर सकते हैं | इसलिए अपने इस Attentional Space के प्रति हमेशा सतर्क रहे , और बार –बार  ध्यान देते रहे  है कि आपके Attentional Space में इस वक्त क्या चल  रहा |

रुकिए !! इस वक्त आपके Attentional Space में क्या चल रहा है ?? मुझको नहीं खद को जवाब दे |

हाइपरफोकस क्या है ?

दोस्तों आपके ऐसा कभी हुआ कि आप घंटो से  कोई काम कर रहे  हैं , और जब वह काम खत्म हो जाता  अहि , आर आपकी नजर अचानक घडी पर पढ़ती है , आप देखते हैं कि  इतना वक्त बीत गया और आपको पता ही नही चला | आप अपने आप को उतना थका हुआ भी महसूस नहीं कर रहे , जितना बाकी के दिन और काम करते हुए महसूस किया करते हैं | बल्कि आप अपने आप को ज्यादा मोटिवेशन से आर उत्साह से भरा पाते हैं | दोस्तों जब  कभी आपको ऐसा महसूस होता है , आपको समझ लेना चाहिए कि इस समय आपका दिमाग , अपने सर्वाधिक प्रोडक्टिव स्टेट में था जिसे हाइपर फोकस कहते हैं |

Hyperfocus : Productivity graph

इसमें हमारा दिमाग का Attentional Space इस तरह पूरी तरह भरा रहता  है कि यह एक समय में एक ही काम को करता   है |

हाइपर फोकस के अंतर्गत हमारा दिमाग एक से समय कम से कम चीजो पर अधिक समय तक ध्यान  देता  है | इस दौरान हमारे Attentional Space में सिर्फ एक ही काम को  कर रहे होते हैं | जितना हो सके उतना अधिक  समय तक |

दोस्तों आपने श्रील प्रभुपाद जिन्होंने श्रीमद्भागवत गीता यथावत पूरे विश्व में प्रसिद्ध की एक बात पता होगी | एव कहते हैं ,” जब मैं पानी पीता हूँ तो मैं सिर्फ पानी ही पीता हूँ “| 

दोस्तों इसका मतलब आप आसानी से अब यहाँ जोड़ सकते हैं , एक समय पर अधिकतम एक ही कार्य करने से हमारे दिमाग की हाइपरफोकस रहने की क्षमता बढती है | जब हम छोटी छोटी चीजों में यह अभ्यास करते हैं , तो  यह बड़ी मुशिकल ,कठिन  चीजों में करने में हमारी मदद करती है | इससे हाइपर फोकस करने की क्षमता भी बढती है और एक आदत हमारे विकसित होती है |

हाइपर फोकस में प्रवेश करने के चार चरण :-

हमने यह तो जान लिया कि हाइपरफोकस का कांसेप्ट क्या है ,हमें जानकर भी अच्छा लगा | लेकिन अ सवाल यह उठता है कि हम इस हाइपर फोकस की आदत को कैसे विकसित करे | पहले ही हमारे लिए फोकस होना ही बड़ी बात है , आर ऐसे में हाइपरफोकस तो कोसों दूर की बात हो गई |

खैर हाइपर फोकस के आदत विकसित करने के लिए हमे सबसे जरुरी चीज के अभ्यास करने की , नियत अभ्यास | यह कार्य आसान बिलकुल भी नहीं है इसके लिए हमारे एक इच्छा शक्ति के साथ दृढ़ निश्चय होना बहुत जरुरी है | ऐसा नहीं कि आज और कल थोड़ा अभ्यास किया और फिर वही अपनी चाल चल दिए |

हमें इन चार चरणों को अपनाना सीखना होगा |

1.पहला :- सबसे यह निश्चित करें कि आपको कौन सा कार्य करना है | अपने सबसे आवश्यक और purposeful कार्य को चुने | जिस पर आपने अपना सम्पूर्ण ध्यान देना है , अपने Attentional Space का उपयोग सिर्फ इसी एक काम पर देना है |

2.दूसरा :- इसके बाद अपने आस पास के माहोल को दुरस्त करें , देखे कि कोई ऐसी चीज आपके आस पासतो नहीं है , जो आपको डिसट्रैक्ट करेगी | जैसे आप अपने फोन को बंद कर सकते हैं | अपनी मेज को साफ कर सकते हैं | साथ आपको अपने अंर्तमन को सुनिश्चित करना होगा कि आपके मन में ऐसे कोई विचार न आने पाए जिसकी वजह से आप डिस्ट्रैक्टड हों |

3.तीसरा :- अब अपने  सबसे आवश्यक और purposeful कार्य पर फोकस करें और उसे करना शुरू करे |

4.चौथा  :-  यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है , ऊपर के तीन चरण काफी आसान हैं , लेकिन जब हम अपने सारे डिसट्रैक्शन को दूर करके अपने काम पर फोकस करते हैं , तो हमारे Attentional Space में  और भी काम आ ही जाते हैं | जैसे पढ़ते वक्त हमारा ध्यान कहीं चला जाता है , कुछ समय के लिए हम खो से जाते हैं | ऑफिस कोई फाइल तैयार करते समय कोई बुला देता है तो ध्यान बिखर जाता है | इए कई परिस्थितियाँ आ जाती हैं जब हमारा ध्यान अपने काम से कुछ समय के लिए हट जाता है |

ऐसे में घबराने की जरुरत नहीं है , बल्कि अपने आपको जितनी जल्दी हो फिर से अपने काम पर फोकस करने के लिए तैयार करना चाहिये | जितनी बार आपका ध्यान टूटेगा , उतनी ही बार आपको अपना ध्यान  अपने काम पर लाना होगा | यही असली अभ्यास भी है और परीक्षा भी है | पहले तो कोशिश यह होनी चाहिए कि आपका ध्यान भटके नहीं और जब भटके तो उसे पुनः वापस काम पर लगाये |

इस अभ्यास को आप जितनी ज्यादा बार करते हैं , आप परीक्षा में इतनी ही बार सफल होते हैं | इसलिए हाइपर फोकस की आदत आसानी से नहीं लगती , इस बार –बार के अभ्यास करने के लिए  इच्छा शक्ति के साथ दृढ़ निश्चय होना बहुत जरुरी है |

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