18 अप्रैल 2020 , रविवार
हाल में ही हुई भारतीय सेना की भर्ती में चयनित सभी अभ्यर्थियों को ढेर सारी शुभकामनाएं। भारत को जहाँ दिल्ली-हरियाणा राज्य सबसे अधिक इंजीनियर , उत्तर-प्रदेश-बिहार सबसे अधिक आई ए एस अफसर, गोवा-दिल्ली सबसे अधिक डॉक्टर , दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु-कर्नाटक आदि सबसे अधिक है रिसर्चर्स देते हैं, वहीं सबसे अधिक भारतीय सैनिक देने वाले राज्यो में उत्तराखंड का नाम शीर्ष राज्य उत्तर-प्रदेश , पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि के साथ आता है।
बिहार औरु पश्चिम उत्तर प्रदेश में जहां UPSC और IIT निकालना बड़े गर्व की बात मानी जाती है , इसी के समरूप पहाड़ी राज्यों में हिमाचल प्रदेश और उतराखंड में भारतीय सेना में भर्ती होना गर्व का विषय होता है , अब चाहे वो सेना में अफसर के पद पर चयनित हुआ हो या फिर एक सैनिक के पद पर | हम सभी बात से अनजान नहीं हैं कि भारतीय सेना में सैनिक के रूप में देश की रक्षा करना कितना मेहनती और मुश्किल है , हर समय-घड़ी जान हथेली पर ही रहती है |
हमारे देश की सरकार को एक संवेधानिक अधिकार भी प्राप्त है कि आपातकालीन स्थिति में किसी को भी भारतीय सेना में सम्मिलित किया जा सकता है , लेकिन युवाओं का देश के प्रति प्रेम और भारतीय सेना के प्रति जूनून इतना है कि इसकी नोबत आज तक नहीं आई है | इसलिए भी पूरे देश में एक फौजी को बड़े सम्मान की नजर से देखा जाता है |
करीब 5 महीने तक चली भारतीय सेना भर्ती की प्रकिया का कल परिणाम घोषित किया गया । जिसमें करीब 2500 से अधिक अभ्यर्थियों का चयन किया गया। 20 दिन पहले हुई भारतीय सेना भर्ती की लिखित परीक्षा का परिणाम कल दोपहर को कुछ इस कदर आएगा किसी ने सोचा न था । अधिकांश गावों की परम्परा को जहाँ एक और वारिस मिला है,वहीँ कई गाँवों में फ़ौज में भर्ती होने की परम्परा को पुनर्जन्म मिला है |
कल हुई बारिश ने जहां , पिछले 1-2 महीने आग से झुलसते पहाड़ के जंगलों को राहत दी है , वहीं 22 पेजों वाली पीडीएफ में अपना अनुक्रमांक पाकर पहाड़ के युवा भी राहत दी है।
पिछले 20 दिनों से सुबह उठने से लेकर, रात सोने तक एक सवाल लगातार इनसे पूछा जा रहा था कि , “रिजल्ट कब आएगा ?” रात सपने में भी इस सवाल ने पीछा न छोड़ा। पास होने न होने की फिक्र बाद की थी , फिक्र थी सिर्फ इस बात की कि ,रिजल्ट कब आएगा |
सच कहूं तो इस सवाल के जवाब का इंतजार लोगों से ज्यादा इन्हें था।
न जाने कितने वर्षों की मेहनत और धैर्य ने कल चयनित अभ्यर्थियों को वो दिया है , जिसके लिये उन्होंने अपने आप को इस काबिल बनाया था।
किसी का बचपन का सपना, किसी की किशोरावस्था की चाहत , तो किसी की जवानी की जरूरत आज आखिरकार कामिल हुई है। कल तक जो डर हर बार, बात-बात पर कमजोर किये जा रहा था , आज उसके चले जाने से अंदर एक सुकून और एक ताकत ने दुबारा जन्म ले लिया है। यह ताकत ही अब परिवार की जिम्मेदारी और देश की रक्षा करने में सहारा देंगी ।
कहते हैं कि समय पर अगर पसीना बहा दो तो , बाद में आंसू नहीं बहाने पढ़ते हैं | इस बात को पहाड़ के युवाओं से अच्छा और कौन समझ सकता है | जो 10 वीं भी सिर्फ इसलिए पास करते हैं ताकि उन्हें भारतीय सेना में भर्ती के चार चक्कर दौड़ने का मौक़ा मिल सके |
इन चार चक्कर वाली दौड़ में इन्हें भले खरगोश की तरह तेज दौड़ना पढ़ता है , लेकिन इस 5 मिनट की दौड़ के लिए ये हर दिन सुबह सूरज आने से पहले और शाम को नीले आकाश को काले होने से पहले कछुए की तरह निरंतर ,लम्बे समय तक तैयारी करते रहते हैं |
सुना था कि ये ब्रह्माण्ड(प्रकृति) हमें देती नहीं है , बल्कि लौटाती है | यह हम पर निर्भर करता है कि हम क्या पाना चाहते हैं , उस हिसाब हम देते हैं | हमारी निरन्तरता की साथ की गई मेहनत और उसके बाद का धैर्य ही हमें सफलता के काबिल बनाता है | और इनकी मेहनत ,लगन और धीरज का ही परिणाम है कि प्रकृति आज इन्हें वो लौटा पाई है जिसके लिए न जाने कितनी बार इन्होने आंसू बहायें हैं और न जाने कितना इन्होने पसीना बहाया है |
इन सालों में जितना भी इन्होंने पसीना बहाया है , वह अब उनके परिवार के आंसुओं को पोछने के साथ देश को सुरक्षित बनाये रखने के लिए खून बहाने में काम आएगा |
आज सफल हुए ये अभ्यर्थी , अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बन गये हैं | जिन्हें देख कर छोटे भाइयों के आँखों में पनपे सपने में और सफाई आई होगी |
जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने के पीछे सबकी अलग तरह की यात्रा होती है | यह यात्रा सपाट तो बिलकुल भी नहीं होती है, उतार पर कभी झुकना पड़ता है ,तो चढ़ाव पर सर उपर करके खुद को धकेलना पढता है | मोड़ो पर मुड़ना होता है और सौ बार गर गिर गये तो एक सौ एक बार उठना पड़ता है | जितना ये पढने में आसान लग रहा है , यह वास्तविकता में करना उतना ही कठिन है | जो कठिनाई अक्सर हमारे लिये बहाना होती है, वे इन भावी जवानो के लिए वजह होती है |
तमाम कोशिश और मेहनत के बाद तब जाके इनकी सुबह होती है , जब एक सुबह आती है | जब 22 पेजों वाली पीडीऍफ़ फाइल में 2500 रोल नम्बर में एक अपना रोल नम्बर भी जगह बना पाता है |
कुल मिलाकर पहाड़ के युवाओं की मेहनत आज इस कद्र रंग ले आई है कि अब ये कैंटीन की दारु से कभी भी , कही भी , किसी का भी मौसम बना भी सकते हैं |
व्यंग्य
जीवन को एक नए आयाम में पहुचाने की यह यात्रा भले अब समाप्त हो चुकी है , लेकिन अब जीवन के इस महत्वपूर्ण पड़ाव से आगे की यात्रा बहुत कठिन होगी , इसकी सफल शुरुआत के लिए TheAishblog की समस्त टीम इन नवजात सैनिकों को शुभकामनाये देती है |