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दोस्तों मुझे पूरी उम्मीद है कि आपने How To Stop Worrying and Start Living book पढ़ी होगी | Dale Carnegie की How To Win Friend And Influence People एक बेहतरीन किताब है , जो हमारे व्यक्तिगत विकास के लिए हमको गाइड करती है | अपने दोस्तों के बीच कैसे सबसे अधिक पसंदीदा बने , या फिर किसी अन्य लोगों को अपने व्यवहार के जरये कैसे प्रभावित करें , इस किताब की मदद से यह संभव है |
इसमें Dale Carnegie द्वारा बताए गए अत्यधिक प्रभावशाली यानी इम्प्रेससिव व्यक्ति बनने के तरीके ये 12 तरीके जिनसे कि आप ना सिर्फ एक पसंदीदा व्यक्तित्व विकसित कर सकते हैं बल्कि एक बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति भी बन सकते हैं यह वह तरीके हैं जिनका इस्तेमाल कर आप किसी भी विरोध की स्थिति में लोगों से अपनी बात मनवा सकते हैं यह वह सारे तरीके हैं जिनके द्वारा मोल भाव की सिचुएशन समझौते के दौरान अपनी बात लोगों से मनवा सकते हैं तो चलिए शुरुआत करते हैं इस के पहले प्रिंसिपल से-
How To WIn Freind & Influence People Hindi Book Summary
You Can’t Win an Argument – आप बहस में कभी जीत नहीं सकते
Dale Carnegie कहते हैं कि हमें कभी किसी व्यक्ति के साथ बहस नहीं करनी चाहिए | अगर आप किसी व्यक्ति के साथ बहस करके उसे नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे तो वह व्यक्ति आपसे नाराज़ होकर चला जाएगा और उससे आपका रिश्ता खराब हो जाएगा | आप उसके साथ बहस में जीत कर भी हार जायेंगे | बहस में हारने वाला व्यक्ति शर्मिंदा महसूस करता है और उसके गर्व को ठेस पहुँचती है | बहस करने से आपकी ऊर्जा और समय बर्बाद होता है | आप हमेशा अपने गुस्से को काबू में रखें और याद रखें की बहस में जीतने का सबसे अच्छा तरीका है उसे नजर-अंदाज़ करना | दोस्तों आपको हमेशा बहस करने से बचना चाहिए क्योंकि बहस करने से हमेशा रिश्ते खराब होते हैं और आप चाह कर भी रिश्तों को पहले जैसा नहीं बना सकते |
आप कभी भी दूसरों को गलत साबित करने की कोशिश ना करें
दोस्तों दुनिया में बहुत से लोग हैं जो अक्सर ग़लतियाँ करते रहते हैं लेकिन आपका काम उन्हें गलत साबित करना नहीं है | जब आप किसी को गलत कहते हैं तो उनकी बुद्धिमता, उनके गर्व और उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुँचती है | वह आपके साथ सहमत नहीं होते और आपके और उनके रिश्ते में दरार आ जाती है | जब आपके सामने कोई व्यक्ति कुछ गलत कहता है तो ऐसी परिस्थिति में इस्तेमाल करने के लिए Dale Carnegie ने हमें एक तरकीब बताई है | आप उस व्यक्ति से इस तरह बात करें –
“देखिए मुझे ऐसा लगता है, यहां मैं गलत भी हो सकता हूं जैसा कि मैं ज्यादातर होता हूं, अगर मैं गलत हूं तो मुझे सही कीजिए, आइए तथ्यों को देखते हैं” |
इन वाक्यों को इस्तेमाल करने से सामने वाला आपकी बात को समझने की कोशिश करेगा, वह आपसे नाराज़ नहीं होगा, आप अपनी बात कह पाएंगे और उसके साथ आपकी दोस्ती भी बनी रहेगी |
जब आप गलत होते हैं वहां अपनी गलती को स्वीकार करें
जब आपसे कोई गलती हो जाए अपने आप को सही साबित करने की बजाय आपको अपनी गलती को स्वीकार करना चाहिए | आप किसी से बहस ना करें और अपनी गलती को छुपाने की कोशिश ना करें | अपनी गलती के लिए माफी मांगे और कोशिश करें कि दोबारा आपसे ऐसी गलती ना हो | जब आप अपनी गलती को स्वीकार करते हैं तब सामने वाला अपना आत्म सम्मान बढ़ाने के लिए आप को बचाने की कोशिश करेगा | जब आप विनम्रता से अपनी गलती स्वीकार करेंगे तो सामने वाला अपना आत्म सम्मान बढ़ाने के लिए वो आपको जरुर माफ करेगा |
अगर सामने वाले व्यक्ति के विचार आपके विपरीत भी हों तो भी अपनी गलती स्वीकार करना आप को बचाने में एक ताकतवर हथियार का काम करता है |
हमेशा कन्वर्जेशन की शुरुआत फ्रेंडली होकर करें
अगर आप गुस्से का जवाब गुस्से से देंगे तो कभी भी सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित नहीं कर पाएंगे | अगर हम गुस्से वाले व्यक्ति के साथ दोस्ती सहानुभूति और विनम्रता से पेश आएं तो हम उसी व्यक्ति को शांत कर सकते हैं और विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल परिस्थितियों में बदल सकते हैं | दोस्तों दुनिया में हर व्यक्ति को गुस्सा आता है, अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप गुस्सा करने वाले व्यक्ति पर किस प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं | ऐसी परिस्थिति में आपके पास हमेशा दो रास्ते होते हैं, पहला रास्ता यह है कि आप गुस्से का जवाब गुस्से से दे सकते हैं, ऐसा करने से आपके और सामने वाले व्यक्ति में झगड़ा हो सकता है और बात आगे बढ़ सकती है जिसका आपको नुकसान हो सकता है | दूसरा रास्ता विनम्रता का रास्ता है – आप गुस्से वाले व्यक्ति से विनम्रता से बात कर सकते हैं, उसका गुस्सा ठंडा होने का इंतजार कर सकते हैं, और उसके साथ बैठकर आराम से बात कर सकते हैं | गुस्से वाले व्यक्ति से विनम्रता से बात करेंगे तो उसका गुस्सा अपने आप शांत हो जाएगा और समस्या का कोई ना कोई समाधान निकल आएगा | गुस्सा करने से लड़ाई-झगड़ा बढ़ता है और विनम्रता से समस्या का समाधान होता है |
The Secret of Socrates – Get the other person saying “yes-yes” immediately
क्या आप किसी तरह का कोई परिवर्तन करना चाहते हैं तो आपको उन लोगों को सहमत करने का कोई तरीका ढूंढना होगा जिनके विचार आपके विरुद्ध हैं | जब आप लोगों से बात करते हैं तो कभी भी ऐसे विषयों से शुरुआत ना करें जिनके बारे में आपके और लोगों के विचार विपरीत हो | हमेशा ऐसे विषयों से शुरुआत करें जिनके बारे में आप के और लोगों के विचार मिलते हैं | थोड़ी देर तक बातचीत करने के बाद उन विषयों पर आएं जिन पर आप बात करना चाहते हैं | उदाहरण के तौर पर अगर आप कोई बड़ा सुधार करने के लिए कार्य प्रणाली में कुछ परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो आप लोगों को समझाएं कि आप उनके विरुद्ध नहीं है बल्कि सुधार करने के लिए एक अलग तरीके से काम करना चाहते हैं | दूसरा तरीका यह है कि आप लोगों से बातें करें जिन पर वो सहमति जतायें | एक व्यक्ति का आत्मसम्मान इस बात पर निर्भर करता है कि वह अपनी बात पर डटा रहे | अगर आप लोगों से ऐसी बातें करेंगे जिन पर वह आपके साथ सहमत नहीं होते, तो अपने आत्म सम्मान को बनाए रखने के लिए वह आपके विचारों को स्वीकार नहीं करेंगे |
The Safety Valve in Handling Complaints – Let the other person do a great deal of talking
दोस्तों बहुत से लोग ज्यादा बोल कर दूसरों को अपनी बातों से जीतने की कोशिश करते हैं | डेल कारनेगी कहते हैं कि हमें दूसरों को बोलने का मौका देना चाहिए अगर सामने वाला व्यक्ति आपके साथ सहमत नहीं है | अगर आप किसी के साथ सहमत नहीं भी है तो भी उन्हें अपनी बात कहने दे और आप उनकी बात खत्म होने के बाद ही बोलें | जब आप कहीं इंटरव्यू देने जाते हैं तो केवल अपने बारे में ही ना बताएं! इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति के बारे में भी पूछें, जिससे उसे अपने बारे में बात करने का मौका मिलेगा | अपनी उपलब्धियों के बारे में ज्यादा बोलने से आपके ज्यादा दोस्त नहीं बनेंगे | हमेशा बातचीत के दौरान दूसरे लोगों को ज्यादा बोलने का मौका दें | ऐसा करने से आप दूसरों के बारे में अधिक जान पाएंगे |
How to Get Cooperation – Let the other person come up with, and implement his or her own ideas
आपको कभी किसी विचार का श्रेय लेने की जरूरत नहीं होनी चाहिए | दूसरे लोगों को उनके विचारों का श्रेय लेने दे और आपके ऐसा करने से वह हमेशा आपको आसानी से सहयोग देंगे | दोस्तों को हमेशा अपने विचार सामने रखने का मौका दें | दुनिया में ज्यादातर लोगों को अपने विचार प्रस्तुत करने का मौका नहीं मिलता क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी दूसरे व्यक्ति के दबाव में जिंदगी जीता है | जब आप लोगों को खुलकर उनकी बात बताने का मौका देते हैं तो वह अपने अंदर दबे हुए विचारों को आपके सामने रखते हैं | आपके ऐसा करने से वह आपके साथ जल्दी ही घुल मिल जाते हैं और एक बेहतर रिश्ता बनाने को तैयार हो जाते हैं |
A Formula That Will Work Wonders for You -Try honesty to see things from the other person’s point of view
प्रत्येक व्यक्ति के सोचने के तरीके और काम करने के तरीके के पीछे कोई ना कोई बड़ा कारण ज़रूर होता है | अगर कोई व्यक्ति सही है या उसकी सोच बहुत सकारात्मक है तो इसके पीछे कोई ना कोई कारण होता है | दूसरी और अगर कोई गलत काम करता है या उसकी सोच नकारात्मक है उसके पीछे भी कोई ना कोई कारण जरूर होता है | हमें किसी व्यक्ति को सही या गलत कहने की बजाय उसके ऐसा होने का कारण ढूंढना चाहिए | जब आपको वह कारण पता चल जाएगा तो आपके पास में उस व्यक्ति की सोच, उसके काम और व्यक्तित्व की चाबी आ जाएगी | डेल कारनेगी कहते हैं कि अगर आप उनकी इस किताब से एक सबसे महत्वपूर्ण चीज सीखना चाहते हैं तो आप इमानदारी से दूसरे लोगों के दृष्टिकोण को जानने की कोशिश करें | उनकी राय जानने की कोशिश ना करें बल्कि यह जानने की कोशिश करें कि उनकी राय ऐसी क्यों है |
What Everybody Wants – Be sympathetic with the other person’s ideas and desires
दोस्तों हमें बहुत से ऐसे लोग मिलते हैं जो हमसे सहानुभूति चाहते हैं या उन्हें सहानुभूति की जरूरत होती है | डेल कार्नेगी ने हमें एक कथन बताया है जो कुछ इस तरह से कहा गया है – “आप जैसा महसूस कर रहे हैं मैं आपको वैसा करने पर जरा भी दोष नहीं देता , अगर मैं आपकी जगह पर होता तो बिल्कुल वैसा ही महसूस करता जैसा आप कर रहे हैं ” | इस कथन का मतलब यह है कि आप भी बिल्कुल वैसे ही होते जैसा की दूसरा व्यक्ति है अगर आपकी मानसिकता आपका माहौल और आपका तजुर्बा उसके जैसा होता | कार्नेगी कहते हैं कि हमें इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं होता कि दूसरा व्यक्ति जैसा दिखता है या जैसा व्यवहार करता है वैसा क्यों है | इसलिए हमें किसी भी व्यक्ति की शिकायत या आलोचना नहीं करनी चाहिए बल्कि उन्हें दोस्त बनाने के लिए उनके साथ सहानुभूति जतानी चाहिए|
An Appeal That Everybody Likes Appeal to the nobler motives –
डेल कारनेगी यहां कहते हैं किसी भी काम को करने के लिए दो कारण होते हैं, पहला कारण जो अच्छा लगता है और दूसरा कारण जो असल में होता है | हमें लोगों को काम करने के लिए कोई महान कारण बताना चाहिए जो सबके लिए अच्छा हो | आप जो काम दूसरों से करवाना चाहते हैं उसके पीछे अपने अच्छे उद्देश्य उन्हें बताएं | उन्हें उस काम को करने का महान कारण बताएं और यह भी बताएं कि उस काम को करना सबके लिए अच्छा कैसे होगा | दूसरों से काम करवाने की यह तकनीक हमेशा तो काम नहीं करेगी फिर भी डेल कार्नेगी हमें इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए कहते हैं |
The Movies Do It. The Radio Does It. Why Don’t You Do It? Dramatize your ideas
सिर्फ सच्चाई को कहना भी काफी नहीं होता, उसे दिलचस्प, चमकीला और नाटकीय बनाना जरूरी है | फिल्में और टेलीविजन के प्रोग्राम यही कर रहे हैं | फिल्मों और टेलीविज़न में केवल सच को ही नहीं बल्कि झूठ को भी इतना चमक-दमक से भरा हुआ और नाटकीय बना कर दिखाया जाता है कि वह सच लगने लगता है और लोगों को आकर्षित करता है | टेलीविजन में दिखाए हुए झूठ को भी लोग सच मानने लगते हैं और उसे देखने में अपना समय बर्बाद करते हैं | लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि निर्माता अपने प्रोग्राम को चमक दमक से भर कर और बेहद नाटकीय बनाकर प्रदर्शित करते हैं | सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है किसी काम को प्रदर्शित करने का तरीका | लोगों के सामने अपने विचार शब्दों में बताने की बजाय उन्हें दिलचस्प बनाएं और एक नाटकीय ढंग में प्रदर्शित करें | जब टेलीविजन और फिल्म वाले ऐसा कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं कर सकते |
When Nothing Else Works, Try This – Throw down a challenge to inspire others
कार्नेगी कहते हैं अगर आपके कर्मचारी कार्य कर रहे हैं तो इस तकनीक का इस्तेमाल करें | अपने कर्मचारियों से ज्यादा काम लेने के लिए उन्हें चुनौती दे और प्रतिस्प्रधा का इस्तेमाल करें | Charles Schwab के मिल के कर्मचारी अपना काम पूरा नहीं कर रहे थे | मिल के मैनेजर ने सभी तकनीकों का इस्तेमाल करके देख लिया लेकिन उत्पादकता में कोई सुधार नहीं हुआ | दिन की शिफ्ट में कर्मचारियों ने जितना भी काम किया Schwab उनके अंक मिल के फर्श पर लिख दिये | जब रात की शिफ्ट के कर्मचारी आए तो उन्होंने पूछा इस अंक का क्या मतलब है ? उन्हें बताया कि आप की दिन की शिफ्ट के कर्मचारियों ने इतना काम किया है | ऐसा करने से रात की शिफ्ट के कर्मचारियों ने दिन की शिफ्ट के कर्मचारियों से ज्यादा काम किया और अपना फर्श पर लिख दिया | अगले दिन की शिफ्ट में कर्मचारियों ने देखा और रात की शिफ्ट से ज्यादा काम करके दिखाया | इस तरह से यह सिलसिला चलने लगा और उत्पादकता बढ़ने लगी | वही कर्मचारी जिनकी उत्पादकता सबसे कम थी, अब वह पूरी मिल मैं सबसे अधिक काम करते थे | कार्नेगी कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति ठीक से काम ना कर रहा हो तो उसे चुनौती देकर प्रोत्साहित करें |
दोस्तों ऊपर दी गई समरी अगर आपने पूरी पढ़ी होगी तो आपको जरुर पसंद आई होगी |
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