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क्या आपने कभी भी, कहीं भी अपने आप को दूसरों के मुकाबले कमज़ोर और हीन पाया है ? कभी स्कूल-कॉलेज में तेज तर्रार छात्रों को देखकर , अपने आप के प्रति निराशा हुई हो | कभी ऑफिस में स्मार्ट कर्मचारियों को देखकर अपने आप के प्रति शर्म सी महसूस की होगी | (Get Smart : Hindi Book Summary)
दोस्तों अपने आप ऐसे हालातों में पाना , एक स्वाभाविक सी बात है | हम जिन प्रतिभाशाली लोगों की प्रशंसा करते हैं , वे दरअसल हमारी तुलना में अपने मस्तिस्क क्षमता का अच्छे से उपयोग करते हैं | यही एक बात होती है , जो उनको ख़ास बनाती है |
उनकी तरह हम भी अपने मस्तिस्क क्षमता का उपयोग कर सकते हैं | हम भी उनकी तरह प्रतिभाशाली और स्मार्ट बन सकते हैं | लेकिन कैसे ???
दोस्तों ब्रायन ट्रेसी की किताब Get Smart में वो सारी बातें बताई गयी हैं , जिन्हें हम अपने निजी जीवन में लाकर , अपने मस्तिस्क क्षमता का अधिक उपयोग करके स्मार्ट बन सकते हैं | साथ हम सीखते हैं कि दिमाग से सफलता की दिशा में कैसे काम करवाया जाता है |
एक बात हमेशा याद रखे , दिमाग हमारे शरीर का एक अंगमात्र है , हम दिमाग नहीं हैं , हम चाहे तो दिमाग को किसी भी दिशा में घुमा सकते हैं , नहीं तो दिमाग हमे तोड़ने-मरोड़ने के लिए हमेशा तैयार बैठा रहता है |
Get Smart : Hindi Book Summary
दृष्टिकोण को बदलना
इस विषय को समझने के लिए मान लीजिये कि आपके दस लाख रूपये की शेष राशि वाला एक बैंक खाता है | लेकिन आप उन दस लाख रुपयों में से सिर्फ 20,000 रूपये ही खर्च क्र सकते हैं | यह बात काफी निराशाजनक है | दोस्तों यही कांसेप्ट हमारे दिमाग की क्षमता का भी है | हमारे दिमाग की क्षमता तो है बहुत सारी , लेकिन हम मुश्किल से 3-4% ही उसे उपयोग में ला पाते हैं | बाकी का 97-98 % बेकार पड़ा हुआ रहता है|
हमारे पास लगभग 100 बिलियन मस्तिस्क कोशिकाएं होती हैं , और इनमें से प्रत्येक कोशिका लगभग 10 से 20 हजार अन्य कोशिकाओं से जुडी होती हैं |
हम अपने दिमाग की इस 100 % क्षमता का उपयोग कर सकते हैं | इसके लिए जरुरी है कि हम अपना दृष्टीकोण बदलें |
आप जीवन को कैसे देखते हैं और उसकी कैसे व्याख्या करते हैं , इसका अधिकतम लाभ उठाने के लिए यह अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है | उदाहरण के लिए आशावादी नजरिये वाला व्यक्ति संभावनाओं को अच्छे से देखेगा जबकि निराशावादी केवल समस्याएं और नकारात्मक प्रतिक्रियाएं देगा | निराशावादी व्यक्ति , असफल होता जाता है, और वहीँ आशावादी व्यक्ति जीवन में सफलता के नये आयामों को छूता जाता है |
इसलिए गेट स्मार्ट किताब की पहली सीख यही है कि हमें अपने दिमाग की क्षमता अधिकतम उपयोग करने के लिए अपने दृष्टीकोण को बदलने की जरुरत है |
दूरदर्शी बने और तत्काल कार्यों का संयोजन करें :-
दोस्तों जब जीवन में योजना बनाने की बात आती है , तो हमारे पास दृष्टीकोण के दो विकल्प होते हैं | पहला ये कि अल्पकालिक सोच को अपनाकर ,अभी में आनंद लेने पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करें और दूसरा ये कि आप दीर्घकालिक सोच और योजना बना सकते हैं |
1970 में हार्वर्ड के प्रोफ़ेसर एडवर्ड बानफील्ड ने देखा कि जिन लोगों के पास अधिक पैसा है , वे वे थे जो आगे की सोचते थे | ये हैं समाज के सबसे चतुर लोग | फिर भी उनकी स्मार्टनेस आसमानी आईक्यू हों इसे नहीं आई , यह उनके दृष्टिकोण से आई है , विशेष रूप से उनकी यह सोचने की क्षमता कि उनका प्रत्येक कार्य उन्हें उनके अंतिम लक्ष्यों के करीब कैसे लाएगा |
यह बात आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है | फ़ोर्ब्स के अनुसार , 2015 में 290 नए अरबपति थे , जिनमें से आधे से ज्यादा स्व-निर्मित थे और उन्होंने कुछ भी नहीं के साथ शुरुआत की थी | इस धन को एक स्थायी शुरुआअत से उत्पन्न करने के लिए , दीर्घकालिक योजना बनाना महत्वपूर्ण है |
इसके लिए आपको यह सोचना चाहिए कि आप पांच वर्षों में कहाँ होना चाहते हैं और फिर यह पता करें कि वहां पहुँचने के लिए आपको अभी क्या करना है | इसमें आपके कामम और व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ आपके स्वास्थ्य और वित्तीय स्वतंत्रता का जायजा लेना और फिर इस जानकारी के आधार पर महत्वपूर्ण निर्णय लेना शामिल है |
एक बात हमेशा याद रखे कि सिर्फ महान योजना बनाने से काम नहीं चलता , आपको उस पर कारवाई करने की भी आवश्यकता है |
आप एक आरामदायक रिटायरमेंट के बारे में योजना बना रहें हैं तो आपको अभी से सेवा में होने के बावजूद कुछ पैसे बाद के लिए भी बचाने चाहिए | सिर्फ आज की जरूरतों और आज के आनंद में अपना सब कुछ खर्च नहीं करना चाहिए |
भावनाओं में न बहें :-
हमारे दिमाग में हर पल सैकड़ों विचारों के बुलबुले उठते रहते हैं | और हम लोग इन तेज , क्षणभंगुर विचारों के बुलबुले से खुद को आवी होने देते हैं | तार्किक और बुध्दिमानी से सोचने के लिए अपने मस्तिस्क का उपयोग करने के बजाय , हम भावनाओं में बहकर ,प्रतिक्रियाशील विचारों को अपने कार्यों को निर्धारित करने की अनुमति देते हैं |
उदाहरण के लिए जब पढ़ रहे होते हैं तो हमारे फोन का एक नोटिफिकेशन , हमे मजबूर करता है कि हम फोन को हाथ में लेकर उसे खोले | या जब कोई हमें चिढाता है , तो हमारे तत्काल , क्रोधित विचार अक्सर हमें कोड़े मारने के लिए प्रेरित करते हैं |
हम अपने मस्तिस्क का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकते हैं | सोचने की धीमे , अधिक तर्कसंगत प्रक्रिया है जहाँ हम सभी विकल्पों का वजन करते हैं और निर्णय लेते हैं |
कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से 72 घंटे पहले लेना एक अच्छी रणनीति है | यह आपको विभिन्न विकल्पों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के लिए पर्याप्त समय देगा | रोज अपने आप को 30 से 60 मिनट के लिए एकांत में ले जाए , जहां शान्ति में रहकर आपके दिमाग में विचारों की नदी बहती रहे |
जीवन की रेल पटरी पर बनाये रखने के लिए , लिखित लक्ष्य होने चाहिये :-
आज के व्यस्त , अति-गतिशील दुनिया में , हममें से कई लोग अभिभूत हो जाते हैं | हमारा जीवन हर नए बदलाव का जवाब देने और उसके साथ बने रहने के लिए एक निरंतर संघर्ष की तरह लगता है | यदि आप अपना जीवन इस तरह व्यतीत करते हैं , तो आप कभी भी सफल नहीं होंगे |
स्पष्ट लक्ष्य रखने वालो को इस बात का बेहतर पता होता है कि कौन सी चीज उनके लिए महत्वपूर्ण है और किसे अनदेखा करना है | साथ ही वे जानते हैं कि वे अंतत: कहाँ होना चाहते हैं , लक्ष्य वाले लोग परिवर्तन के सामने अधिक आसानी ससे अनुकूलित हो सकते हैं |
उनके महत्व के बावजूद , वास्तविक लक्ष्य बहुत दुर्लभ हैं | केवल तीन प्रतिशत लोगो के पास जीवन के स्पष्ट लिखित लक्ष्य होते हैं | यदि आप पहले से उस तीन प्रतिशत में से नहीं हैं , तो आपको अभी उनसे जुड़ना चाहिए |
सबसे पहले कुछ कागज़ पकड़ो , और उन पर अपने लक्ष्य लिखना शुरू करें | लक्ष्य सबसे प्रभावी होते हैं जब उन्हें दृश्यमान बनाया जाता है |
सोचे और लिखे कि आप इस एक साल में क्या पाना चाहते हैं , आप कहाँ पहुँचना चाहते हैं | उन दस चीजों के बारे में सोचे जो आप करना चाहते हैं |
अपने लक्ष्यों को लिखते समय वर्तमान काल का उपयोग करें , उन्हें व्यक्तिगत बनाये और सुनिश्चित करें कि वे सकारात्मक हैं |
उदाहरण के लिए :- मैं 31 अगस्त तक अपना उपन्यास पूरा कर रहा हूँ | यदि आप जंक फ़ूड छोड़ना चाहते हैं तो आप नकारात्मक शब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे – “ जंक फ़ूड खाना बंद करो “| बल्कि ,” मैं इ स्वस्थ खाने वाला व्यक्ति हूँ” |
अपने लिखे हुए लक्ष्यों की रोज जांच करें और उनके मुताबिक़ अपनी दिनचर्या बनाये | आप देखोगे कि आपके जीवन को एक दिशा मिलती रहेगी |
काम को न टालें :-
दोस्तों हम लोग दरअसल किसी भी बड़े काम को एक बार मे पूरा करने की कोशिश करते है | तो उसके कठिन होने की वजह से हमारे अंदर टालने वाला कीड़ा उस काम को देता है| इस तरह हम, अपने टाइम का एक बड़ा हिस्सा, बिना कुछ करे, बिता देते हैं| और फिर, डेडलाइन से ठीक पहले, एक ही बार में सभी चीजों को करने की कोशिश करके परेशान होते है ।
इसका उदहारण आप उन छात्रों द्वारा परीक्षा के आखिरी रात बिना सोये खाए पिए पढने में देख सकते हैं |
इसके लिए आप पोमोडोरों तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं |
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